भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस बार भोपाल लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। हमेशा विवादित बयान देकर सुर्खियों से घिर रहने वाले दिग्गी लंबी चुप्पा साधे हुए हैं। उन्होंने अपने उम्मीदवार होने की घोषणा के साथ ही कोई ऐसी बयानबाजी नहीं की है जो उनके लिए चुनाव में मुसीबत का सबब बन जाए। इसलिए वह जहां जा रहे हैं बहुत नपा तुला बोल रहे हैं। यही नहीं उन्होंने अपनी रणनीति के तहत यह भी तय किया कि वह बीजेपी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ ऐसा कोई बयान नहीं देगे जिससे बीजेपी को इसका लाभ हो। हाल ही में साध्वी ने हेमंत करकरे को लेकर बयान दिया था। जिसकी निंदां दिग्गी ने की लेकिन यहां भी प्रज्ञा का नाम गोल कर गए।
दरअसल, दिग्गी ने मीडिया के सामने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि वह अब किसी भी तरह की कोई विवादित टिप्पणी या बयान नहीं देंगे। वह बीते 25 दिन से लगातार प्रचार करने में जुटे हैं। लेकिन उन्होंंने ऐसी कोई बात नहीं कही जो राष्ट्रीय स्तर तक मीडिया की सुर्खी बने। सिंह के करीबियों का कहना है कि इस पूरी रणनीति के पीछे उनकी पत्नी अमृता सिंह हैं। सूत्रों के मुताबिक अमृता सिंह ने ही उन्हें इस बात की सालह दी है कि वह अपना समय जनसंपर्क और प्रचार में लगाएं। बता दें अमृता एक पत्रकार हैं और वह इस बात को भलीभांती समझती हैं कि अगर दिग्गी ने कुछ बोले तो उसके मायने उनके खिलाफ जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने दिग्गी को खामोशी से प्रचार करने की सलाह दी है। जिसका असर चुनावी रण में दिख भी रहा है।
सिंह की छवि हिंदुवादी बन चुकी है, उनके पूर्व में दिए बयान से लोगों में उनकी राय हिंदुत्व के खिलाफ होने की बन गई है। जिसे तोड़ने के लिए सिंह ने दो साल पहले से ही तैयारी करना शुरू करदी थी। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा कर सभी को चौंका दिया था। उन्होंने तब भी कहा था कि वह कोई राजनीति बयान नहीं देंगे और वह अपनी बात पर अटल रहे। यही कारण है उनके जनसंपर्क में फिलहाल कोई मुस्लिम नेता उनके साथ नजर नहीं आ रहा है वह जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा के साथ ही प्रचार करने निकल रहे हैं। जिससे हिंदु वोटर को लुभा सकें।