भोपाल| भाजपा में भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार को लेकर जबरदस्त खींचतान जारी है| दिग्विजय के नाम के ऐलान के दो सप्ताह बाद तक भाजपा उनके मुकाबले उम्मीदवार का नाम तय नहीं कर पाई। उनके समर्थक इसे दिग्विजय का खौफ बताते हैं| चुनावी तैयारियों में भी दिग्विजय आगे निकल गए हैं| वहीं उम्मीदवार के ऐलान में देरी से भाजपा कमजोर हो रही है| औपचारिक ऐलान के बाद से ही दिग्विजय लगातार चुनाव क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं और बूथ कार्यकर्ता सम्मलेन, कार्यकर्ताओं से वन टू वन चर्चा और अलग अलग समाज से मिलकर अपनी कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं, जिससे कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है, वहीं प्रत्याशी तय न होने से भाजपा में निराशा बढ़ती जा रही है|
दरअसल, विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से ही कांग्रेस में यह तय हो गया था कि लोकसभा चुनाव में कठिन सीटों पर कब्जा जमाना है| इसके लिए पार्टी ने वरिष्ठ नेता दिग्विजय को भोपाल सीट से उतारा| इस सीट पर कांग्रेस सारे नुस्खे आजमा चुकी है लेकिन जीत नहीं मिली। ब्राह्मण, मुस्लिम, कायस्थ, ओबीसी, नवाब, क्रिकेटर, स्थानीय, बाहरी सबको आजमा लिया, पर कामयाबी नसीब नहीं हो पाई। कांग्रेस के के एन प्रधान 1984 में भोपाल से जीतने वाले आखिरी उम्मीदवार थे। हारने वालों की सूची में पूर्व क्रिकेटर नवाब पटौदी, पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी जैसे दिग्गज शामिल हैं। लेकिन इस बार दिग्विजय के मैदान में आने से कांग्रेस की उम्मीद बढ़ी है, हालांकि भाजपा भी दिग्विजय की घेराबंदी रणनीति बना रही है|
चुनाव तैयारियों के लिहाज से भोपाल सीट पर भाजपा पिछड़ती नजर आ रही है| दिग्विजय के नाम की घोषणा के दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी भाजपा नाम तय नहीं कर पाई है| वहीं दिग्विजय ने कार्यकर्ताओं के हिसाब से करीब करीब पूरी लोकसभा का दौरा कर लिया है| प्रत्याशी बनने के बाद दिग्विजय ने बैरसिया, उत्तर, मध्य, दक्षिण-पश्चिम, हुजूर के कोलर और बैरागढ़ सहित सीहोर विधानसभा में कार्यकर्ताओं के सम्मलेन बुलाकर वन टू वन चर्चा कर चुनाव की तैयारियों में जुटने के लिया काम शुरू कर दिया है| इस हिसाब से भाजपा से दिग्विजय आगे निकल गए हैं| उम्मीदवार तय करने में देरी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है|