भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले ढाई माह में तबादलों से जमकर हाहाकार मचा| आचार संहिता लगने के बाद अब चुनाव आयोग की अनुमति से ही सरकार तबादले कर पाएगी, जिससे उन अधिकारी कर्मचारियों को राहत मिली है, जो बोरिया बिस्तर बाँध कर ही बैठे थे| वहीं तबादलों के इस दौर में कई ऐसे तबादले भी हो गए जिसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं|
दरअसल, तीन साल से एक स्थान पर जमे अधिकारियों को हटाने के लिए चुनाव आयोग ने निर्देश दिए थे, लेकिन इसकी आड़ में विभागों ने चुनाव ड्यूटी में लगाए अधिकारी का ही तबादला कर दिया। इसमें बड़ी तादाद में मतदान केंद्रों का काम देखने वाले सेक्टर ऑफिसर के तबादले कर दिए गए हैं। इस काम में जिला निर्वाचन अधिकारियों ने एक दर्जन से ज्यादा विभाग के मैदानी अधिकारियों की ड्यूटी लगाई थी।
बताया जा रहा है कि आचार संहिता प्रभावी होने के बाद तबादलों का आकलन किया जाएगा और यदि ऐसा पाया जाता है कि संबंधित अधिकारी के तबादले से चुनाव का काम प्रभावित होगा तो उसे कार्यमुक्त नहीं होने दिया जाएगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव का कहना है कि तबादलों से चुनाव का काम प्रभावित तो नहीं हो रहा है, इसका आकलन करवाया जाएगा। चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों की व्यवस्था, निरीक्षण और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर को सहायता देने के लिए हर जिले में 35 से 40 सेक्टर अधिकारियों की तैनाती की है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने अपनी सहूलियत के हिसाब से अधिकारियों का चयन करके इन्हें फरवरी में प्रशिक्षण भी दिलवा दिया। इसके बावजूद विभागों ने सेक्टर अधिकारियों के तबादले कर दिए। इतना ही नहीं, कलेक्टरों के माध्यम से आनन-फानन में इन्हें कार्यमुक्त भी करवाया जा रहा है।