भोपाल। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में भी जयस ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। जयस ने कांग्रेस से चार सीटों (धार, खरगोन, बैतूल और रतलाम सीट )की मांग की है और मांग पूरी ना होने पर बीजेपी में शामिल होने की धमकी दी है। चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए जयस चुनौती बन गया है, ऐसे में आदिवासी सीटों पर जीत हासिल करने की डगर कठिन होती नजर आ रही है। जयस के इस सख्त रवैए के बाद कांग्रेस में हड़कंप की स्थिति है। इसी के चलते गुरुवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आनन-फानन में आदिवासी विधायकों की बैठक बुलाई और सभी से दो टूक शब्दों में कहा हर हाल में जयस को मनाओ और गोंडवाना समेत अन्य बागियों को अपने साथ मिलाओ। वही आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम को भी कड़ी फटकार लगाते हुए नाथ ने कहा कि मंत्री बन गए हो तो उड़ रहे हो। जमीन पर पैर ही नहीं हैं, क्या ऐसे हम आदिवासी सीटें जीतेंगें ।
दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने वाले आदिवासियों के युवा संगठन जय आदिवासी युवा संगठन यानी जयस ने अब लोकसभा चुनाव में मोर्चा खोल दिया है। जयस ने फिर चार आदिवासी सीटों की मांग की है। मनावर से कांग्रेस विधायक और जयस संरक्षक हीरालाल अलावा ने कमलनाथ से मुलाकात कर दो टूक कह दिया है कि उन्हें चार लोकसभा सीटों से टिकट चाहिए। ये टिकट किसी आदिवासी युवा को मिलना चाहिए, साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर कांग्रेस ने उन्हें ये चार टिकटे नहीं दी वे अन्य किसी दल में शामिल हो जाएंगें।उनके लिए हर दल के दरवाजे खुले है।वही इस बात का फायदा उठाकर बीजेपी ने जयस पर डोरे डालना शुरु कर दिया है।
बीजेपी नेताओं ने दिया ऑफर
खबर है कि अलावा को बीजेपी की तरफ से खुला ऑफर दिया गया है। खुद अलावा ने इस बात के संकेत दिए है। अलावा ने बताया है कि बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं ने भी उन्हें बातचीत का प्रस्ताव दिया है। वही गोंडवाना ने भी 2 सीटों की मांग के बाद समर्थन देने की बात कही है। जयस की इस धमकी के बाद कांग्रेस मे हड़कंप मच गया है। इसी के चलते गुरुवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आदिवासी विधायकों की बैठक बुलाई गई और उन्हें हर हाल में जयस और गोड़वाना पार्टी को मनाने को कहा गया।
मंत्री को लगाई फटकार-इतना हवा में ना उडे
इस दौरान कमलनाथ ने प्रदेश की छह आदिवासी लोकसभा सीटों को जीतने की भी रणनीति तैयार की। उन्होंने विधायकों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ उन सीटों को जिताने की जिम्मेदारी भी सौंपी, जहां भाजपा के विधायक हैं।बैठक में विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि प्रभारी मंत्री उनकी नहीं सुनते तो जनता की क्या सुनेंगे। चुनाव जीतने के लिए मंत्री का जनता से मिलना और उनकी समस्याएं सुनना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इस पर नाथ आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम पर भड़क उठे और जमकर खरी-खोटी सुनाई । कमलनाथ ने कहा कि मंत्री बन गए हो तो उड़ रहे हो। जमीन पर पैर ही नहीं हैं। लोग घंटों तुम्हारा इंतजार करते रहते हैं। लोकसभा चुनाव सामने है, क्या इसतरह हम आदिवासी सीटें जीतेंगें।
भाजपा की राह भी मुश्किल
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 6 आदिवासी लोकसभा सीटों पर बड़ी जीत हासिल करने वाली बीजेपी के लिए इस बार राह आसान नहीं है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह कमबैक किया है़ उससे कई सीटों पर बीजेपी का गणित बिगड़ गया है।प्रदेशभर में कांग्रेस की लहर दिखाई दे रही है। इसके साथ ही बीजेपी के सामने टिकट बंटवारा भी बड़ी समस्या बना हुआ है। बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे जाति प्रमाण पत्र मामले में संकट में हैं तो मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ उनकी ही पार्टी में विरोध है।टिकट की दूसरी दावेदार राज्यसभा सांसद संपत्तिया उइके के बेटे का पिछले दिनों स्मैक के साथ पकड़े जाने से उनके समीकरण बनते-बनते बिखरते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रतलाम सीट पर कांग्रेस को टक्कर देने के लिए बीजेपी के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है, बीजेपी विधानसभा चुनाव में काग्रेस से बागी बने जेवियर मेड़ा पर नजर जमाए हुए थे, भाजपा जेवियर के सहारे इस सीट को निकालने की फिराक में थी, लेकिन इससे पहले ही गुरुवार को उन्होंने भी वापस कांग्रेस ज्वाइन कर ली , जिससे भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिर गया। वही शहडोल और खरगोन में भी पार्टी मौजूदा सांसदों को टिकट देने से परहेज करती हुई दिखाई दे रही है।
ये हैं छह आदिवासी सीटें
शहडोल – ज्ञान सिंह, भाजपा
मंडला – फग्गन सिंह, भाजपा
बैतूल – ज्योति धुर्वे, भाजपा
खरगोन – सुभाष पटेल, भाजपा
धार – सावित्री ठाकुर, भाजपा
रतलाम – कांतिलाल भूरिया, कांग्रेस
इनमें से धार, रतलाम, खरगोन और बैतूल जयस ने मांगी है।
गोंडवाना ने शहडोल और मंडला सीट की मांग की है।
वर्तमान में पांच पर भाजपा का कब्जा है।