सरकार बड़ी या महाराज

भोपाल| कांग्रेस में आज एक बार फिर नेता विशेष के प्रति आस्था साफ तौर पर दिखाई दी। मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे तुलसी सिलावट बुधवार को वल्लभ भवन में होने वाली कैबिनेट की बैठक में नहीं पहुंचे। वे इंदौर में मौजूद थे और अपने राजनीतिक आका ज्योतिरादित्य सिंधिया के इंदौर दौरे के समय उनके साथ साए की तरह लगे हुए थे। दरअसल सिलावट का कार्यक्षेत्र इंदौर माना जाता है और ऐसे समय में जब उनका नेता इंदौर के दौरे पर हो तो भला सिलावट उनसे दूर कैसे रह सकते। लेकिन सवाल ये है कि कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में आखिरकार एक महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री कैसे सिर्फ इसलिए गैरहाजिर रह सकता है कि उसे अपने राजनीतिक आका को खुश रखना है। 

दरअसल बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय पर मुहर लगनी थी। जिसमें अनुपूरक बजट को मंजूरी, भर्ती नियमों में संशोधन, उद्योगों को रियायती दर पर जमीन देने और महाविद्यालयों के अतिथि विद्वानों के भविष्य को लेकर निर्णय होने थे। बावजूद इसके तुलसी सिलावट इस महत्वपूर्ण बैठक में नदारद रहे। यह पहला मौका नहीं जब कांग्रेस के किसी नेता ने अपने राजनीतिक आका के प्रति पार्टी या सरकार से ज्यादा  वफादारी दिखाई हो। लेकिन सवाल यह है कि क्या आम जनता के काम ज्यादा महत्वपूर्ण है जो कैबिनेट के निर्णय से संचालित होते हैं या फिर महाराज की सरपरस्ती|


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