भोपाल। मध्य प्रदेश में कर्ज की मार झेल रहे किसानों को सरकार कर्ज माफ कर राहत देने में व्यस्त है। सरकार का मानना है कि किसानों को कर्ज से उबार कर उन्हें दोबारा खड़ा किया जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर किसानों के लिए एक बड़ा संकट खड़ा होने की संभावना बनी हुई है। तत्कालीन बीजेपी सरकार को प्याज खरीदी में 104 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। अब कमलनाथ सरकार प्याज खरीदी पर रोक लगा सकती है। खजाने की खराब हालत को देखते हुए ये फैसला लिया जा सकता है।
दरअसल, सूत्रों के मुाताबिक सरकार खजाने की खराब होलत को देखते हुए प्याज की खरीद पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। विपणन संघ ने साल 2016 में पहली बार प्याज की खरीद की थी। समितियों और मंडियों के माध्यम से 10 लाख 40 हजार 629 लाख टन से अधिक प्याज की खरीद हुई थी। लेकिन सरकार सिर्फ दो लाख 98 हजार क्विंटल प्याज का ही विक्रय कर पाई थी और उसे 7 लाख क्विंटल प्याज खराब होने से बड़े घाटे का सामना करना पड़ा था। बीते सालों में मध्य प्रदेश में प्याज की बंपर फसल होने से ये स्थिति बनी थी। प्याज सड़ने के कारण सरकार ने उसे नष्ट भी करवाया था।
सरकार ने प्याज खरीदी पर 107 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए थे। लेकिन प्याज बेचने के मामले में सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। सरकार सिर्फ दो करोड़ 88 लाख रुपओ की प्याज बेच पाई थी। जिससे उसे करीब 104 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। दिसंबर में सत्ता परिवर्तन के बाद वर्तमान कांग्रेस सरकार के सामने खाली खजाने से निपटने का संकट पहले से है। ऐसे में सरकार प्याज खरीदी कर खजाने पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहती।
किसानों के खाते में नहीं पहुंचे 15 करोड़
घाटे से उबरने के लिए सरकार ने प्याज खरीद मियम में तब्दीली की और भावांतर योजना से हटकर कृषक समृद्धि योजना में शामिल किया। वर्ष 2017 में कसानों को प्याज में फ्लेट रेट 400 रुपए और लहसुन में 800 रुपए क्विंटल दर तय की गई। इस वर्ष सरकार को किसानों को करीब 65 हजार करोड़ का घुगतान करना पड़ा। इसमें अभी तक 50 करोड़ ही खातों में डाले गए हैं। जबकि 15 करोड़ की राशि बकाया है।