भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही पूर्व सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई मीसा बंदी पेंशन पर रोक लगा दी है। सरकार बदलते ही मीसाबंदी पेंशन पर कांग्रेस ने आंखें तरेरी हैं. कांग्रेस का कहना है कि यह सरकारी पैसे की फिजूलखर्ची है। सरकार ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। आदेशानुसार सरकार मीसाबंदियों को मिलने वाली पेशन के संबंध में जांच करवाएगी। सरकार ऐसा लोगों को पेंशन की सूची से बाहर करेगी जो इसके सही पात्र नहीं है। आदेश में इस बात उल्लेख नहीं किया गया है जांच कबतक पूरी होगी या फिर कितने समय के बाद पेंशन शुरू की जाएगी।
इमरजेंसी के दौरान जेल में कैद रहे मीसा बंदियों की पेंशन खतरे में हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह सरकारी पैसे की फिजूलखर्ची है। वहीं बीजेपी का कहना है कि ऐसा होने पर सदन से सड़क तक पुरजोर विरोध होगा। भाजपा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बीजेपी नेता और मीसाबंदी तपन भौमिक ने कहा कि सरकार ने जो आदेश जारी किया है वह भ्रमक है। उसमें जांच की समय सीमा तय नहीं की गई है। अगर सरकार इसपर रोक लगाना चाहती है तो उसे आध्यदेश लाना होगा। क्योंंकि पेंशन सराकर ने अध्यादेश लाकर ही लागू की है। उन्होंने कहा कि हम सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि लोकतंत्र के सेनानियों को बाकायदा विधानसभा में विधेयक पारित कर कानून के द्वारा पेंशन देने का प्रावधान किया गया। अब मात्र एक आदेश से उनकी पेंशन रोक दी गई। उन्हें अपराधी कहकर अपमानित किया जा रहा है। संघर्ष होगा जमकर होगा। हाँ, नेहरूवंश लोकतंत्र का हत्यारा रहा है। आपातकाल में सत्ता की चौकड़ी में चकड़दम मचाने वाले कमलनाथजी की सरकार आपातकाल के विरुद्ध सत्याग्रह करने वाले मीसाबंदी लोकतंत्र सेनानियों की समीक्षा करेगी, उन्हें मिलने वाली पेंशन पर रोक लगा दी। इन मीसाबंदियों ने लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की आजादी कुचलने के विरोध में संघर्ष किया था।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में फिलहाल 2000 से ज्यादा मीसाबंदी 25 हजार रुपये मासिक पेंशन ले रहे हैं।साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसा बंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया। बाद में पेंशन राशि बढ़ाकर 10000 रुपये की गई। साल 2017 में मीसा बंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25000 रुपये की गई। इस पर सालाना करीब 75 करोड़ का खर्च आता है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार ने अपनों को रेवड़ी बांटने के लिए ऐसी करोड़ों की फिजूलखर्ची की है। कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने कहा बीजेपी सरकार ने 25000 रुपये प्रति माह मीसाबंदी के लोगों को बांटा है। स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन नहीं मिल रही थी लेकिन मीसा बंदियों को पेंशन दे डाली। सरकार 75 करोड़ रुपये सालाना लुटा रही थी, इसको तुरंत बंद होना चाहिए।