उच्च शिक्षित युवाओं में लगी Street Vendors बनने की होड़, 50 हजार युवाओं ने किया आवेदन

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पूरे देश में दिन-ब-दिन बेरोजगारों की संख्या (Number of unemployed) बढ़ती जा रही है। ऐसे में कोरोना महामारी (Corona epidemic) ने भी एक बड़ा असर डाला है। जिससे लोग आर्थिक तंगी के भी शिकार हो चुके हैं। हर साल भारी संख्या में लोग ग्रेजुएट होकर कॉलेज (College) और विश्वविद्यालय (university) से निकल रहे है, जिन्हें जॉब की तलाश (Job search) है। इसी प्रकार कोरोनाकाल (Coronacal) में लगे लॉकडाउन (Lockdown) के कारण भी लाखों लोग बेरोजगार (unemployed) हो चुके है। जिन्हें अब रोजगार (employed) की तलाश है। इसमें सबसे ज्यादा असर स्ट्रीट वेंडर्स (Street vendors) पर हुआ है। जो सड़कों के किनारे अपनी दुकान और ठेला लगाते थे।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।