HIV Test : पहले महिलाओं के चरित्र पर सवाल..अब सफाई, कलेक्टर साहिबा जवाब तो देना पड़ेगा

Shruty Kushwaha
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HIV test of Rai dancers in Ashoknagar :”अभी हमने करीब 10महिलाओं की HIV टेस्ट किया है..ये हमें जरूरी लगा कि श्रद्धालु आते हैं और नवयुवतिया हैं..किसी के नेचर और उसके बारे में नहीं किया जा सकता और ऐसा करना चाहिए, इसीलिए हमने किया। उद्देश्य यही है कि नृत्यांगनाएं हैं वो लोग और बाहर से श्रद्धालु आते हैं। अगर मान लो..’भई कैरेक्टर’..अब मैं कह नहीं सकता हूं क्योंकि वो भी अच्छे परिवार से हो सिर्फ नृत्य ही करती हो लेकिन फिर भी हम जांच कर रहे हैं कि जिससे कभी भी आपस में कोई बॉन्डिंग हो तो इस तरह की एक दूसरे को बीमारी न दे पाए”…ये शब्दश: बयान है डॉ. नीरज छारी, सीएमएचओ अशोकनगर के। ये बात उन्होने एक दिन पहले कही जब करीला मेला प्रारंभ होने से पहले राई नृत्यांगनाओं का HIV टेस्ट किया गया।

‘महिलाओं के चरित्र पर प्रश्नचिन्ह’

बताते चलें कि ये एक धार्मिक मेला है..मान्यतानुसार मां जानकी ने यही लव कुश को जन्म दिया था और इस अवसर पर अप्सराएं स्वर्ग से उतरकर नृत्य करने के लिए यहां आई थी। इसी लोकमत को परंपरा के तौर पर सदियों से यह निभाया जा रहा है। आज भी लोग मन्नत मांगते हैं और पूरी होने पर राई नृत्य कराते हैं। मेले में दूर दूर से लोग आते हैं..बल्कि कहा जाए कि श्रद्धालु आते हैं। राई नृत्यांगनाएं बेड़िया समाज से ताल्लुक रखती हैं। इनका मुख्य व्यवसाय नाच-गाना और कहीं कही देह व्यापार भी है। कभी परंपरा के नाम पर तो कभी मजबूरी में..कई महिलाएं ये काम कर रही हैं। लेकिन वो दीगर बात…सवाल ये है कि अगर किसी ‘धार्मिक मेले’ में कोई ‘श्रद्धालु’ आ रहा है और बकौल CMHO उसकी किसी से ‘बॉन्डिंग’ अर्थास यौन संबंध बन जाए..तो एड्स या कोई यौन संक्रामक रोग नहीं होना चाहिए। चलिए..इस मंशा पर तो कोई विरोध है ही नहीं लेकिन एक सवाल तो लाज़मी है कि क्या इसके लिए हमेशा स्त्री को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा..क्या उसे ही अपमानित करते हुए अलग अलग तरह की जांचों से गुजरना होगा। वो तो तथाकथित श्रद्धालु आने वाले हैं..जो धार्मिक मेले में आने के बाद अपने लिए एक सेक्स-पार्टनर तलाशेंगे..उनसे क्यों नहीं मास-अपील की जाती कि वो सुरक्षा बरतते हुए संबंध बनाएं, कंडोम का इस्तेमाल करें। ये ठीकरा भी इन नृत्यांगनाओं के सिर भी फोड़ दिया गया और साथ ही उनके ‘कैरेक्टर’ पर भी सवाल उठाने से नहीं हिचके अधिकारी महोदय। हालांकि अपरोक्ष सवाल तो बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के कैरेक्टर पर भी उछाला गया है..ये कहकर कि वे यहां आएंगे तो धार्मिक प्रयोजन के साथ अपने लिए सेक्ट-पार्टनर तलाशना भी उनके लिए इच्छित होगा।

ये कैसी मानसिकता

बेड़िया जाति से संबद्ध इन महिलाओं का लंबे समय से ये पेशा रहा है। हालांकि समय के साथ बदलाव आ रहा है..सभी महिलाएं देह व्यापार से नहीं जुड़ी हैं। बावजूद इसके ये बात किसी से छिपी नहीं कि अगर कोई ये काम कर भी रही हैं तो वो वो पेशागत कारणों से इसे अपनाती हैं। ऐसे में ‘कैरेक्टर’ का सवाल इन महिलाओं के लिए उठना चाहिए या उन ‘सभ्य’ ‘सम्मानित’ और ‘धार्मिक’ पुरुषों के लिए..जो एक धार्मिक मेले में आ रहे हैं लेकिन उनकी इच्छा यहां पर देह-सुख पाना है। इस तरह इस एचआईवी टेस्ट ने एक बार फिर उसी पितृसत्तातमक सोच को उजागर कर दिया है..जहां किसी भी महिला के चरित्र पर सवाल उठाने में एक क्षण भी नहीं लगता है। ये सिर्फ उन दस, बीस या जितनी भी महिलाओं का एचआईवी टेस्ट हुआ…केवल उनका अपमान नहीं है, ये पूरी बेड़िया जाति की महिलाओं का अपमान है जिनमें बहुत संख्या ऐसी युवतियों-महिलाओं की भी है जो नाच-गाकर या किसी और तरीके से अपनी आजीविका कमा रही हैं। जो कोशिश कर रही हैं कि अब अपने लिए एक सम्मानजनक स्थिति निर्मित कर सकें। लेकिन किसी भी बड़े पद पर बैठे शक्तिशाली व्यक्ति को उनके ‘कैरेक्टर’ पर उंगली उठाते हुए ज़रा भी हिचक नहीं होती।

बयान से पलटे अधिकारी

नारी अस्मिता एवं उसके सम्मान से जुड़ा यह मामला जैसे ही तूल पकड़ा एवं विवाद गहराया तो प्रशासन ने आनन-फानन में खुद को बचाने के लिए जनसंपर्क से एक प्रेस नोट जारी कर दिया। जिसमें उन्ही सीएमएचओ डॉ नीरज छारी के हवाले से यह बताया गया कि करीला की राई अस्थायी अस्पताल में एचआईवी टेस्ट नहीं किया गया और ना ही टेस्ट करने की वह सुविधाएं है। इस मामले में एक बड़ी बात यह है, कि यह नजरिया उन प्रशासनिक अधिकारियों का है जिनके जिम्मे इन महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल कराना रहा है। ऐसे में इस तरह के बयान ने इन महिलाओं के प्रति सरकारी अधिकारियों की सोच को जनता के सामने ला दिया है

बहरहाल..सीएमएचओ साहब अपनी बात से पलट गए हैं। मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस बीच बयान और खंडन की राजनीति हो चुकी है। खैर..अब कोई भी कितना भी खंडन करे, मामला तो उजागर हो ही गया है और तूल भी पकड़ चुका है। उम्मीद है कि इस बार की घटना से सबक लेकर भविष्य में शायद इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

एक दिन पहले CMHO का बयान

खंडन

HIV Test : पहले महिलाओं के चरित्र पर सवाल..अब सफाई, कलेक्टर साहिबा जवाब तो देना पड़ेगा


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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