भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद से प्रदेश भर में हड़कंप मचा हुआ है। सहकारिता से जुड़ा एक और बड़ा मामला सामने आया है। सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि एक सहकारिता माफिया उनके घर नोटों से भरा बैग लेकर आया था। वह चाहता था कि मैं हाउसिंग सोसायटी के खिलाफ कार्रवाई को रोक दूं। मंत्री के इस खुलासे के बाद से सियासी हलचल तेज़ हो गई है।
दरअसल, आर्थिक अपराध शाखा द्वारा राजधानी की रोहित गृह निर्माण समिति के खिलाफ जालसाज़ी का मुकदमा दर्ज किया है। इस प्रकरण में मुख्य आरोपी घनश्याम सिंह राजपूत को बताया जा रहा है। राजपूत पहले रेलवे में क्लर्क की नौकरी करता था। उसकी घर सीबीआई का छापा भी पड़ चुका है। घनश्याम रोहित हाउसिंग सोसायटी का अध्यक्ष भी है। मीडिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजपूत पूर्व शिवराज सरकार में काफी रसूखदार व्यक्ति था। उसके भाजपा नेताओं से काफी अच्छे संबंध थे जिसके बल पर उसने सोसायटी के मध्यम से कई घोटाले किए हैं। उसी रसूख का फायदा उठाते हुए उसके खिलाफ दर्ज 2009 की शिकायत पर ईओडब्ल्यू कोई एक्शन नहीं ले पा रहा था। इस संस्था के पदाधिकारी रहे राजपूत ने करीब साढ़े 22 करोड़ रुपए का हेर—फेर किया है। पात्रों को प्लॉट न देना और संस्था के खाते से रकम अपने निजी काम में इस्तेमाल करने जैसे संगीन आरोप राजपूत पर हैं।
मंत्री के बयान से खलबली
रोहित हाउसिंग सोसायटी को लेकर सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह के बयान से राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। इस सोसायटी को लेकर यह पहला मौका नहीं है जब राजनीतिक गलियारों में भूचाल आया हो। इससे पहले पूर्व सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव ने भी गोविंद सिंह की ही तरह बयान देकर भाजपा में हलचल पैदा कर दी थी। भार्गव ने कहा था कि रोहित गृह निर्माण सोसायटी की जांच एसटीएफ से कराई जाएगी। हालांकि इस बयान के बाद उनसे सहकारिता विभाग ही ले लिया गया था। अब गोविंद सिंह के ताजा बयान से लाजिमी है कि भाजपा खेमे में इसका असर देखने को मिलेगा।