भोपाल। मध्य प्रदेश की करीब 7 से 8 फीसदी जनता की नागरितका पर संकट खड़ा हो सकता है। केंद्र सरकार ने देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का प्रस्ताव (NPR) कैबिनेट में पास कर दिया गया है। देश के सभी राज्यों में अब घर घर जाकर लोगों की जानकारी जुटाई जाएगी। जिसका एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा। यह प्रस्ताव राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की ही पहली सीढ़ी बताई जा रही है। हालांकि, एनआरसी को लेकर केंद्र नें फिलहाल कोई गाइडलाइन तय नहीं की है। लेकिन एनपीआर का कार्य कई राज्यों में किया जा रहा है। अप्रैल 2020 से एनपीआर का कार्य शुरू होना है।
दरअसल, मध्यप्रदेश में करीब 60 लाख बंजारा, घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ की 51 प्रजातियां हैं। यह प्रजातियां कभी एक जगह पर नहीं रहती ना ही इनके पास कोई सरकारी दस्तावेज ( जन्म या जन्म स्थान से जुड़ा कोई प्रमाण पत्र) हैं जिससे यह अपनी नागरिकता साबित कर सकें। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार ने NRC और CAA को राज्य में लागू करने से मना कर दिया है मगर नेशनल पापुलेशन रजिस्टर का सर्वे अप्रैल 2020 से शुरू होगा। जिसको लेकर सरकार ने अभी तक अपना रुख तय नहीं किया है। अगर यह काम मध्यप्रदेश में शुरू हुआ तो मुमकिन है कि इनका नाम छूट जाए। हालांकि मध्य प्रदेश कांग्रेस घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ प्रकोष्ठ ने इसकी खिलाफत की है। पूरे देश में इन प्रजातियों की आबादी, 2001 के सेंसस के अनुसार करीब 11 करोड़ है। भाजपा घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने भी इन प्रजातियों की जन संख्या 60 लाख के करीब ही आंकी है।
जहां तक देश का संबंध है, रेनाका समिति 2008 की रिपोर्ट के अनुसार, जो कि 2001 की जनगणना पर आधारित है, देश भर में 11 करोड़ से अधिक लोग हैं, जो निरंकुश, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के हैं। संख्या अब अधिक हो सकती है। चूंकि, समुदाय के सदस्य शायद ही किसी विशेष स्थान पर रहते हैं, उनके पास निवास, जन्म, शिक्षा, जाति और भूमि का कोई भी आधिकारिक प्रमाण नहीं है। वे बड़े पैमाने पर दैनिक मजदूरी, चरवाहों, खेतों में काम करते हैं, और पारंपरिक कला कार्यों में कुशल हैं।
शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 2014 में, इन जनजातियों के जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया था, लेकिन कुछ अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, आधिकारिक दस्तावेजों की कमी के कारण शायद ही 10-15% लोग प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सफल रहे। न्यूज़ क्लिक के काशिफ की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि, मप्र में 51 समुदाय हैं और कुछ को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में जोड़ा जाता है और कुछ को अनुसूचित जाति के रूप में जोड़ा जाता है। इसलिए, यह पहचानना मुश्किल है कि कौन किस समुदाय से है।