इंदौर, आकाश धोलपुरे| इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) समेत मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) की किरकिरी करने वाली बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यव्हार करने की घटना के मामले में 6 और मास्टर कर्मी और उपायुक्त दोषी पाए गए हैं| नगर निगम की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि मस्टर कर्मचारियों के अलावा उपायुक्त प्रताप सिंह सोलंकी की लापरवाही के कारण यह घटना हुई| उन्हें पहले ही निलबित किया जा चुका है|
निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि आज उन्हें अपर आयुक्त एस कृष्ण चैतन्य द्वारा जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है। श्रीमती पाल ने बताया कि जांच में नगर निगम के 6 और मस्टर कर्मचारियों दोषी पाए गए हैं, जिनकी लापरवाही और भिक्षुकों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करने के कारण नगर निगम की छवि धूमिल हुई है । इन सभी 6 मस्टर कर्मियों की सेवाएं समाप्त की जाएंगी। जांच में दोषी पाए गए 6 मस्टर कर्मचारियों के नाम जितेंद्र तिवारी, अनिकेत करोने, राज परमार, गजानंद महेश्वरी, राजेश चौहान, सुनील सुरागे शामिल हैं|
निगम आयुक्त पाल ने बताया कि जांच में उपायुक्त सोलंकी को भी दोषी पाया गया है। उन्होंने बताया कि श्री सोलंकी की लापरवाही के कारण बिना किसी सक्षम स्वीकृति के वृद्ध भिक्षुकों को रैन बसेरा पहुचाने के बजाए शहर से बाहर ले जाया गया। श्रीमती पाल ने बताया कि सोलंकी के खिलाफ विभागीय जांच (डीई) की जाएगी।
बता दें कि इस मामले में पहले ही उपायुक्त प्रतापसिंह सोलंकी को निलंबित किया जा चुका है, जबकि लापरवाही बरतने वाले रैनबसेरा के दो मस्टरकर्मचारियों बृजेश लश्करी और विश्वास वाजपेयी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है|