Independence Day 2023 : भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस के जश्न में शामिल नहीं हुए थे महात्मा गांधी, जानिये कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

Independence Day 2023 : मंगलवार को हम अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। कल देशभर में अलग अलग स्थानों पर तिरंगा फहराया जाएगा और राष्ट्रगान गाया जाएगा। ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति के इस दिन को हर देशवासी उत्साह और उमंग के साथ मनाता है। आजादी के त्योहार से पहले हम आपके लिए इस विशेष दिन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य लेकर आए हैं।

स्वतंत्रता दिवस से जुड़े अहम तथ्य

  • आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने देने वाले बापू यानी महात्मा गांधी आजादी मिलने के बाद मनाए गए जश्न में शामिल नहीं हुए थे। दरअसल 15 अगस्त 1947 को जब देश को आजादी मिली तब वे दिल्ली में नहीं थे। दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में बापू हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए धरने पर बैठे थे।
  • 15 अगस्त 1947 को देश का स्वतंत्रता दिवस तय किए जाने के बाद जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दी थी। साथ ही अनुरोध किया था कि आप सबके बापू हैं और इस विशेष दिन सम्मिलित होकर अपना आशीर्वाद दें।
  • इस पत्र के जवाब में गांधीजी ने कहा कि कलकत्ता में हिंदू मुस्लिम एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं, एक दूसरे की जान ले रहे हैं तो ऐसे में मैं जश्न में किस प्रकार शामिल हो सकता हूं। उन्होने अपने स्वभाव अनुसार कहा कि दंगे रोकने के लिए मैं अपनी जान दे दूंगा क्योंकि इसे रोकना सबसे ज्यादा जरुरी है।
  • हालांकि 15 अगस्त को भारत की आजादी का दिन घोषित कर दिया गया था लेकिन इस दिन तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुई था। 17 अगस्त 1947 को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा के साथ इसका निर्धारण हुआ।
  • 15 अगस्त, 1947 को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर पर तिरंगा फहराया था। उसके बाद से ही ये परंपरा बन गई और हर साल लाल किले पर देश के प्रधानमंत्र ध्वजारोहण करते हैं।
  • लेकिन 1947 से भी कई साल पहले ही भारत का झंडा फहराया जा चुका था। 1906 में कलकत्ता के पारसी बगान स्क्वैर में धार्मिक चिन्ह और 8 गुलाब वाला झंडा फहराया गया था, जिनके ऊपर वंदे मातरम लिखा था।
  • ये बात भी बेहद महत्वपूर्ण है कि साल 2002 से पहले भारत का आम नागरिक किसी भी अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहरा सकता था। इसपर पाबंदी थी और आम जनता सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही राष्ट्रीय ध्वज फहरा सरती थी।
  • 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैग कोड में परिवर्तन किया और इसके बाद आम लोगों को कभी भी झंडा फहराने की अनुमति प्राप्त हुई।
  • ध्वज फहराने के लिए आवश्यक है कि ये खादी का बना हुआ है। किसी और वस्तु से बना ध्वज फहराने पर 3 साल की सजा हो सकती है।
  • अगर किसी कारण तिरंगा फट जाता है तो इसे दफनाया जा सकता है या फिर अग्नि के हवाले किया जाता है। इस क्रिया को करने के बाद मौन रखा जाता है।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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