इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर (Indore ) सहित प्रदेश के कुछ अन्य जिलों में जहरीली शराब (poisonous alcohol) पीने से हुई मौतों का मामला आबकारी विभाग (Excise Department) के लिए चुनौती बन गया है। आखिरकार कैसे लाइसेंस शुदा बारो में अवैध शराब दिख रही थी, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। इंदौर के कलेक्टर (Indore collector) ने तो साफ कह दिया है कि यदि आबकारी विभाग का अधिकारी और पुलिस का टीआई ऐसा चाहे तो अवैध शराब बिक ही नहीं सकती।
जहरीली शराब ने इंदौर मे 5 लोगों की जान ले ली। इंदौर के ही दो बार, पैराडाइज और संगीता में यह शराब बेरोकटोक परोसी जा रही थी। हैरत की बात यह है कि यह दोनों लाइसेंस शुदा बार हैं। उसके बाद भी इनमें कैसे अवैध शराब बिक रही थी, यह आबकारी विभाग के साथ-साथ पुलिस के लिए भी बड़ा सवाल है और उससे भी बड़ी हैरत की बात यह है कि अभी तक इन दोनों विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों के ऊपर कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई है। पुलिस की जांच में ये खुलासे हो रहे हैं कि इंदौर में बिकने वाली जहरीली रॉयल स्टैग इंदौर से 200 किलोमीटर दूर खरगोन के किसी ग्रामीण इलाके में बन रही थी।
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औद्योगिक स्प्रिट पानी और रंगों से तैयार होने वाली शराब वैध शराब की तुलना में काफी सस्ती थी और इससे होने वाले मुनाफे और चांदी की चकाचौंध ने क्या आबकारी विभाग क्या पुलिस सभी के आंखों पर पट्टी बांध रखी थी। आंखें खुली लेकिन तब तक इंदौर में 5 लोगों की जान चली गई थी और अभी तो यह भी लग रहा है कि मंदसौर और खंडवा में हुई जहरीली शराब से मौतों का कनेक्शन भी इसी शराब से जुड़ा हुआ है। अब कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई हैं। हो सकता है कि कुछ अधिकारी कर्मचारी निलंबित भी हो जाएं लेकिन सवाल वही से क्या इससे जो लोग जिंदगी से हाथ धो बैठे हो वापस आ पाएंगे।
और इस बात की क्या गारंटी की ऐसा घटनाक्रम दोबारा नहीं दोहराया जाएगा। वास्तव में इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने बड़ी प्रासंगिक बात कही है कि आबकारी विभाग का एडीओ और पुलिस का एसआई,टीआई चाहे तो क्षेत्र मे अवैध शराब बिक ही नही सकती। जिस व्यक्ति के क्षेत्र में गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी है अगर वही उसे नहीं रोक पाता तो उसे उस क्षेत्र में रहने का भी कोई हक नहीं।