अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस: आज कूनो के जंगल में ‘वायु’ और ‘अग्नि’ को मिलेगी आज़ादी, सीएम मोहन यादव ने दी शुभकामनाएं

अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस चीतों के संरक्षण और उनके घटते प्राकृतिक आवास पर जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। यह कदम पारिस्थितिकी संतुलन को बहाल करने और जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ी पहल है। चीतों का संरक्षण न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करता है, बल्कि यह मानव और प्रकृति के सह-अस्तित्व को भी बढ़ावा देता है।

Cheetah

International Cheetah Day : आज अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस है। हर साल ये दिन दुनिया के सबसे तेज़ दौड़ने वाले इस जीव के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से चीतों की कम होती आबादी और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। चीतों का प्राकृतिक पर्यावरण में होना पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर रहते हैं और जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं​।

आज के दिन कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों में से दो “वायु” और “अग्नि” को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इसी के साथ कूनो वनमंडल की सभी रेंजों में स्थानीय समुदाय और अधिकारियों के सहयोग से रैलियों का आयोजन किया जाएगा। इनका उद्देश्य चीतों के संरक्षण के महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है। सीएम डॉ मोहन यादव ने भी इस दिन की बधाई दी है।

International Cheetah Day : इतिहास और उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस मनाने की शुरुआत चीता संरक्षण फंड (Cheetah Conservation Fund) द्वारा की गई थी। यह दिन संस्थापक डॉ. लॉरी मार्कर के प्रयासों का हिस्सा है, जो चीतों के संरक्षण में दशकों से योगदान दे रही हैं। उनकी पहल का उद्देश्य था चीतों को विलुप्त होने से बचाना और उनकी भूमिका को वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में पुनः स्थापित करना।

अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के उद्देश्यों में चीतों के प्राकृतिक आवास का संरक्षण करना शामिल है जिसके तहत घास के मैदानों और खुले जंगलों को संरक्षित करने पर ज़ोर दिया जाता है ताकि चीतों और अन्य प्रजातियों को सह-अस्तित्व का अवसर मिल सके। इसी के साथ चीतों के महत्व और उनकी पारिस्थितिक भूमिका के प्रति जन-मानस को शिक्षित करने और चीतों के पुनर्वास और प्रजनन कार्यक्रम के प्रयासों को भी महत्व दिया जाता है। इसके तहत भारत सहित कई देशों में चीतों को संरक्षित क्षेत्र में पुनः स्थापित करने की पहल हो रही है।

कूनो नेशनल पार्क में बाड़े से आज़ाद होंगे दो चीते

भारत ने 2022 में चीतों की पुनर्वापसी परियोजना की शुरुआत की, जिसके तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाया गया। यह परियोजना भारतीय जैव विविधता के पुनरुद्धार का एक बड़ा कदम है। हालांकि इस परियोजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन इसे भारत में पारिस्थितिकी बहाली के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

आज अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में एक ऐतिहासिक कदम उठाया जाएगा। लंबे समय से बाड़े में रह रहे चीतों में से दो “वायु” और “अग्नि” चीतों को आज खुले जंगल में छोड़ा जा सकता है। यह कदम चीतों को उनकी प्राकृतिक स्वतंत्रता लौटाने और उनके व्यवहार का मूल्यांकन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। कूनो प्रबंधन ने चीतों को खुले जंगल में छोड़ने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं। चीतों को मुक्त करने की प्रक्रिया के दौरान चीता स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य और कूनो के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह स्थानांतरण पूरी सुरक्षा और निगरानी में हो।

मुख्यमंत्री ने दी अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस की बधाई

सीएम डॉ मोहन यादव ने आज के दिन की बधाई देते हुए कहा है कि ”चीता स्टेट’ मध्यप्रदेश के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। कभी भारत से विलुप्त हो चुकी चीतों की प्रजाति को आज मध्यप्रदेश में देखना अत्यंत सुखद है। प्रदेश की भूमि पर दौड़ते चीते आज राज्य के पर्यटन को नई गति प्रदान कर रहे हैं। देश के हृदय प्रदेश में चीतों के परिवार के बढ़ने का सिलसिला जारी है। हमारी सरकार पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु चीतों के संवर्धन के लिए निरंतर कार्यरत है।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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