जबलपुर, संदीप कुमार। पंचायत सचिव (Panchayat Secretary) द्वारा मनरेगा (MANREGA) में गबन करने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने सख्त रवैया अपनाया है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पंचायत सचिव पर लगाए गए आरोपों की 3 माह में जाँच की जाए और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाए।वही निर्देश दिया है कि यदि अनूपपुर कलेक्टर (Anuppur Collector) जांच में दोषी पाएं तो कार्रवाई सुनिश्चित करें।
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दरअसल, मामला अनूपपुर जिले (Anuppur District) के ग्राम उमरिया है। जैतहरी निवासी गणेश सिंह राठौर ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें अधिवक्ता मनोज कुशवाहा द्वारा पक्ष रखा गया कि जनपद पंचायत (District Panchayat) जैतहरी के अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरिया (Gram Panchayat Umaria) के तत्कालीन सचिव सुंदर सिंह राठौर पर वर्ष 2012 में मनरेगा के खाते से 2 लाख 85 हजार रुपए निकालकर अपने खाते में ट्रांसफर (Transfer) करा लिए थे।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पंचायत सचिव पर कार्रवाई करते हुए गबन की सारी राशि वसूली जाए और सेवा समाप्त पुलिस में एफआइआर दर्ज की जाए। हैरानी की बात तो ये है कि इस मामले में एसडीएम कोर्ट (SDM Court) ने पंचायत सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसके जवाब में सुंदर सिंह राठौर ने अपराध स्वीकार कर लिया था, लेकिन बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई। सुंदर सिंह राठौर वर्तमान में ग्राम पंचायत वेंकटनगर का पंचायत सचिव है।
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इस मामले में शनिवार को न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी (Justice Sanjay Dwivedi) की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि पंचायत सचिव पर लगाए गए आरोपों की तीन माह में जाँच की जाए और दोषी पाए जाने पर पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वही याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि यदि कलेक्टर जांच में दोषी पाएं तो कार्रवाई सुनिश्चित करें। इसके लिए तीन माह की समय-सीमा निर्धारित की गई है।