नई सरकार के निशाने पर जन अभियान परिषद, भंग करने की तैयारी

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भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की कथित मदद करने वाली जन अभियान परिषद (जाप) संस्था को नई सरकार में भंग किया जाएगा। इस मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए कदम उठाए जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया है कि जाप को भंग करने कानूनी सलाह ली जा रही है। आरोप है कि विधानसभा चुनाव में इस संस्था ने कांग्रेस के खिलाफ काम किया है। और भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में मदद की है। 

वरिष्ठ पत्रकार शहरोज अफरीदी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ठीक आचार संहिता के लागू होने से पहले संस्था में करीब 450 कर्मचारियों की भर्ती की गई। यही नहीं उन्हें इस संस्था में नियमित भी कर दिया गया। संस्था के कर्मचारियों को वह सुवाधाएं मुहैया कराई गईं जो किसी सरकारी अफसर को मिलती हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस इस बॉडी को भंग कर संस्था का नई तरह से गठन करने पर भी विचार कर रही है। 

म.प्र. जन अभियान परिषद् का पंजीयन म.प्र. सोसाइटी पंजीयन अधिनियम 1973 के अन्तर्गत दिनांक 04.07.1997 को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह द्वारा किया गया था। लेकिन यह संस्था 2001 तक गुनामी में रही। 2001 में इस संस्था को आरएसएस कार्यकर्ता और भाजपा नेता अनिल माधव दवे ने रिवाइव किया। आज के समय में इस संस्था की बड़ी फौज है। इस संस्था में 7 लाख पैड कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। यह कार्यकर्ता गांव से लेकर ब्लॉक स्तर तक संस्था के कामकाज को प्रमोट करते हैं। इस संस्था ने सरकार की योजनाओं और जनता के बीच सेतू की तरह काम किया है। संस्था के रूतबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस संस्था के अधिकारियों को कलेक्टर अॉफिस और पंचायत भवन में एक कमरा दिया गया है। 

कौन है इस संस्था का अध्यक्ष

इस संस्था के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। वहीं, कार्यकारिणी में कई मंत्री शामिल किए गए थे। इनके अलावा कुछ नौकरशाह भी इस संस्था की कार्यकारिणी में शामिल थे। जिनके हैड प्रमुख सचिव हैं। यह संस्था योजना, आर्थिक और सांख्यिकी विभाग के अंतरगत आती है। 

450 कर्मचारी किए गए नियमित

इस साल सिंतबर के महीने में राज्य सरकार ने संस्था के करीब 450 कर्मचारियों की सेवा नियमित करदी थी। संस्था के सात अधिकारी उन सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे जो वर्ग एक के सरकारी अफसरों को मिलती हैं। वहीं, 77 सदस्यों को वह सुविधाएं मिल रही थीं जो वर्ग दो के राज्य सरकार के अफसरों को मिलती हैं। उनका मासिक वेतन भी 45 हजार रुपए था। महात्मा गांधी चीत्रकूट ग्रामोदय विश्वविधालय सतना के छात्र जो समाज सेवा में डिस्टेंस कोर्स कर रहे हैं उन्हें इस संस्था के साथ जोड़ा गया। यही नहीं पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान इस संस्था से 35 हजार छात्रों को जोड़ा गया था। 

अब सात लाख कार्यकर्ता

जाप संस्था के अफसरों के अनुसार इस संस्था की करीब 35 हजार कमेटियां हैं और 7 हजार ग्राम अधिकारी और कार्यकर्ता राज्य के विभन्न स्थानों में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि हर समिति में करीब 20 सदस्य हैं। 

संस्था का कार्यकर्ता बीजेपी के लिए प्रचार करते पकड़ा गया

दो नवंबर को पन्ना जिला कलेक्टर ने राज्य निर्वाचन अधिकारी को लिखा था कि परिषद का जिला समन्वयक सुरेश वरमन पुलिस द्वारा आचार संहिता के दौरान बीजेपी के लिए 28  अक्टूबर को प्रचार सामाग्री के साथ पकड़ा गया था। कलेक्टर ने इसको आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। बता दें 6 अक्टूबर को प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी। और इस संस्था को एक सरकारी संस्था के तौर पर माना जा रहा था। पन्ना एसपी ने भी इस मामले में चुनाव आयुक्त को लिखा था कि जब वरमन से पूछा गया कि वह क्या काम करता है तो उसने जवाब में बताया था कि वह एक एनजीओ चलाता है। 

ईसी ने बैठक पर लगाई थी रोक

चुनाव आयोग ने इस संस्था पर आचार संहिता के दौरान प्रदेश में कही भी बैठक करने पर रोक लगाई थी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीएल कांताराव ने कहा था कि पोल पैनल ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि एनजीओ किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं ले।


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