बिजली खरीदी के सुलेमानी करिश्मे से हैरान हुए कमलनाथ

Published on -
Kamal-Nath-surprised-by-the-buying-electricity-concept-in-madhya-pradesh-

भोपाल|  ऊर्जा विभाग की बैठक में मुख्य मंत्री कमलनाथ उस समय यह जानकर हैरान हो गए कि मध्य प्रदेश की सरकार बिना बिजली खरीदे निजी बिजली कंपनियों को हर साल अरबो रुपए की राशि का भुगतान कर रही है। दरअसल ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आईपीसी केसरी ने मंत्रियों के सवाल के जवाब में बताया था कि निजी कंपनियों से जो अनुबंध हुए हैं उनमें बिजली खरीदनी ही होगी और नहीं खरीदी तो भी निश्चित राशि देना जरूरी है। दो साल पहले 2400 करोड रुपए दिए गए थे।  पिछले वर्ष 1500 करोड़ रू और  इस वर्ष 1000 करोड़ पर की राशि दी गई है। इस पर नाराजगी जताते हुए कमलनाथ ने कहा कि यदि ऐसा ही था तो आदिवासी क्षेत्रों में बिजली मुफ्त दी जा सकती थी।

क्या है मामला

 5 जनवरी 2011 को मध्य प्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी और तीनों डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने निजी क्षेत्र की पांच कंपनियों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट किए। इन कंपनियों में एमवी पावर अनूपपुर, जे पी निगरी सिंगरौली, जेपी बीना पावर, झाबुआ पावर सिवनी, बीएल पावर शामिल थी। इन पावर परचेज एग्रीमेंन्टो में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। इनमें केंद्र सरकार की नेशनल टेरिफ पॉलिसी का पालन नहीं किया गया और अलग-अलग जगह पर एक ही अधिकारियों के हस्ताक्षर कर एक ही दिनांक को सारे एग्रीमेंट कर लिए गए। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि नेशनल टेरिफ पॉलिसी में 6 जनवरी  2006 में यह प्रतिबंध था कि निजी क्षेत्रों से बिजली खरीदने में अब बिड आवश्यक होगी जबकि सरकारी क्षेत्र की कंपनियों के लिए 5 साल की छूट दी गई थी। इन पावर परचेज एग्रीमेंटो  में इसी छूट का लाभ उठाने की दलील दी गई जबकि यह दलील इन कंपनियों के लिए लागू नहीं थी। नियमो को धता बताकर इसकी विद्युत नियामक आयोग से भी अनुमति ले ली गई। अब हालात यह है कि 25 साल तक इन एग्रीमेंटो के तहत इन कंपनियों से बिजली ली जाया न ली जाए सरकार को राशि अदा करनी होगी। जिस समय यह पावर परचेज एग्रीमेंट किए गए विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष राकेश साहनी ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान और मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ला थे। इन सब ने नियमों को क्यों गंभीरता से नहीं देखा यह सोचने वाली बात है फिलहाल 2011 की गलती मध्य प्रदेश के आम बिजली उपभोक्ता भुगत रहे हैं और उन्हें इन बिजली कंपनियों को चुकाई गई राशि  स्वयं के बिजली दरों में बढ़ोतरी के रूप में झेलनी पड़ती है|


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News