केन-बेतवा जल विवाद: यूपी को 700 एमसीएम से ज्यादा पानी नहीं देगा मध्य प्रदेश

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttarpradesh) के बीच केन-बेतवा लिंक परियोजना (ken betwa link project) में जल बंटवारे को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh CHauhan) ने जल संसाधन विभाग के साथ बैठक की। बैठक में उत्तरप्रदेश को परियोजना से अवर्षाकाल के महीनों में रबी फसल व पेयजल के लिए 700 मि.घ.मी. से अधिक पानी नहीं देने का निर्णय लिया गया है|

मुख्यमंत्री ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की नदी जोड़ो अभियान परिकल्पना के अनुक्रम में बनाई गई बहुउद्देशीय केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के गतिरोध को दूर कर, इसका कार्य शीघ्र प्रारंभ करवाया जाएगा। मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश के बीच सीजनल जल बंटवारे पर सहमति न बनने के कारण परियोजना में विलंब हो रहा है। इस परियोजना से अवर्षाकाल के महीनों में रबी फसल व पेयजल के लिए यूपी को 700 मि.घ.मी. पानी देने पर पूर्व में सहमति दी थी, जिसके लिए हम आज भी तैयार हैं। इस संबंध में भारत सरकार के समक्ष मध्यप्रदेश का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा।मुख्यमंत्री ने बैठक में ही केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से परियोजना संबंधी गतिरोध शीघ्र दूर करने फ़ोन पर बात की। इस संबंध में आगामी सप्ताह में उनके साथ बैठक प्रस्तावित की गई।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं के निरंतर विकास के चलते इस वर्ष गत वर्ष की तुलना में 2 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। विशेष बात यह है कि प्रदेश में पहली बार लगभग 68 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जाएगा।

पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई के लिए जल
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस वर्ष पहली बार इतने अधिक क्षेत्र में किसानों को पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। राजगढ़ जिले की मोहनपुरा योजना से 20 हजार हेक्टेयर, टीकमगढ़ जिले की बाण सुजारा योजना से 33 हजार हेक्टेयर तथा मंदसौर जिले की गरोठ परियोजना से 15 हजार हेक्टेयरक्षेत्र में पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई जल प्रदाय किया जाएगा। इसी प्रकार प्रमुख रूप से पेंच परियोजना, छिंदवाड़ा, सिवनी से 26 हजार हेक्टेयर, बाणसागर एवं त्योंथर परियोजना, रीवा से 34 हजार हे., पारसडोह परियोजना बैतूल से 6 हजार हेक्टेयर तथा इन्दौख परियोजना उज्जैन से 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इस वर्ष अतिरिक्त रूप से सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। अन्य जिलों की लघु परियोजनाओं से इस वर्ष अतिरिक्त 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए जल प्रदाय किया जाएगा।

केन-बेतवा परियोजना के प्रमुख बिन्दु
वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा केन-बेतवा लिंक बहुउद्देशीय परियोजना को राष्ष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया एवं इसके वित्त पोषण हेतु 90:10 अनुपात में केन्द्र एवं संबंधित राज्यों के मध्य आधार सुनिश्चित किया गया। परियोजना म.प्र. के छतरपुर/पन्ना जिले में स्थित है। परियोजना के क्रियान्वयन से होने वाली संपूर्ण क्षति जैसे- भूमि अधिग्रहण, जंगल क्षति, राजस्व भूमि की क्षति, प्रतिपूरक वनीकरण हेतु गैर वनभूमि की व्यवस्था, जनजातीय परिवारों का विस्थापन एवं पुनर्वास इत्यादि मध्यप्रदेश द्वारा वहन की जा रही है। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्वारा परियोजना की ड्राफ्ट एकजाई डी.पी.आर. (प्रथम चरण + द्वितीय चरण) अक्टूबर 2018 में तैयार की गई। ड्राफ्ट एकजाई डी.पी.आर. की कुल लागत लगभग 35111.24 करोड़ आंकलित की गई।

जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश द्वारा ड्राफ्ट एकजाई में उत्तरप्रदेश को रबी सीजन में 700 मि.घ.मी. के स्थान पर 930 मि.घ.मी. जल का उपयोग दर्शाया गया है जबकि मध्यप्रदेश का रबी सीजन में जल एवं कमांड क्षेत्र कम किया गया है, जो मध्यप्रदेश को मान्य नहीं है। मध्यप्रदेश द्वारा एकजाई डी.पी.आर., आपत्तियां इंगित करते हुए महानिदेशक NWDA को प्रेषित की गई है। दिनाँक 23 अप्रैल 2018 को सचिव, भारत सरकार द्वारा आयोजित बैठक में मध्यप्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव उत्तरप्रदेश से प्रमुख सचिव ने भाग लिया, जिसमें मध्यप्रदेश द्वारा रबी सीजन में सिंचाई व पीने के पानी हेतु बांध से कुल 700 मि.घ.मी. पानी उत्तप्रदेश को आबंटित करने हेतु अपनी सहमति दी। लेकिन बैठक में कार्यवृत्त में उत्तरप्रदेश को 788 मि.घ.मी. पानी आबंटित किया गया, जिसके लिए मध्यप्रदेश ने अपने पत्र दिनांक 24 मई 2018 द्वारा असहमति व्यक्त की।

दिनांक 20 जुलाई 2020 को नई दिल्ली में सचिव, जल संसाधन की अध्यक्षता में बैठक आहूत की गई। बैठक में उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा रबी सीजन में सिंचाई एवं पीने के पानी के लिये पुन: मांग बढ़ाकर 930 मि.घ.मी. आबंटन हेतु अनुरोध किया गया। सचिव, जल संसाधन भारत सरकार द्वारा सीजनल (नवंबर से मई) जल की आवश्यकता की तर्कसंगतता की जांच करने हेतु राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को निर्देशित किया गया कि वह राज्यों में जाकर रबी सीजन में जल की आवश्यकता की जांच कर अगली बैठक में प्रस्तुत करें। प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश के पत्र दिनांक 14 जनवरी 2020 द्वारा 700 मि.घ.मी. जल केन सिस्टम से (नवंबर से मई) अवधि के दौरान बरियारपुर पिकअप वियर पर उत्तरप्रदेश को आवंटित करने एवं मानूसन अवधि (जून से अक्टूबर) में उत्तरप्रदेश के महोबा जिले में निर्मित 10 जलाशयों में आवश्यकतानुसार उत्तरप्रदेश अपने हिस्से के आबंटित जल से भरने की सहमति दी गई। 22 सितम्बर 2020 को केन्द्रीय मंत्री, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग से मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के जल संसाधन मंत्री के साथ बैठक की गई। बैठक में चर्चा उपरांत निर्णय लिया गया कि दोनों राज्य भारत सरकार द्वारा भेजे गए मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (MOA) प्रारूप पर अपनी टिप्पणी पूर्ण जानकारी के साथ प्रस्तुत करें, जिससे जल शक्ति मंत्रालय द्वारा (MOA) प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा सके।


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