ग्वालियर।अतुल सक्सेना। गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात करने वाले ग्वालियर के दिग्गज भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी जय सिंह कुशवाह ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात की पुष्टि करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि राजनीति में विकल्प हमेशा खुले रहते हैं।
भाजपा जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी की नियुक्ति का विरोध करने के बाद संगठन द्वारा नजर अंदाज किये जा रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (SADA) साडा के पूर्व अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी जय सिंह कुशवाह अब अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 40 साल भाजपा को देने वाले जय सिंह कुशवाह ने कई बार पार्टी से विधानसभा का टिकट मांगा लेकिन पार्टी ने उनपर भरोसा नहीं जताया। जिसके बाद अब वे कांग्रेस में अपना भविष्य तलाश रहे हैं हालांकि अभी उन्होंने ये नहीं कहा कि वे भाजपा छोड़ रहे हैं और कांग्रेस जॉइन कर रहे हैं लेकिन उनका ये कहना कि सभी विकल्प खुले हैं इसी तरफ इशारा करता है।
गुरुवार को भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात कर राजनैतिक हलकों में गर्माहट पैदा करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता जय सिंह कुशवाह ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मुलाकात की। हालांकि उन्हें शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा से मुलाकात करनी थी लेकिन ये मुलाकात नहीं हो सकी। एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से मुलाकात की पुष्टि करते हुए जय सिंह कुशवाह ने कहा कि मेरी मुलाकात हुई है लेकिन क्या बात हुई नहीं बता सकता, समय आने पर बताऊंगा। उन्होंने इतना जरूर कहा कि राजनीति में हमेशा विकल्प खुले रहते हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से भाजपा के दिग्गज नेता की मुलाकातों के कई मायने लगाए जा रहे हैं । इसे ग्वालियर पूर्व विधानसभा में होने वाले उपचुनाव और पार्टी में हो रही उनकी उपेक्षा से जोड़कर देखा जा रहा। इसके अलावा शायद जय सिंह कुशवाह भाजपा जो ये मैसेज भी देना चाहते हों कि यदि पार्टी उनकी उपेक्षा करती है तो उनके पास और भी विकल्प
ग्वालियर पूर्व विधानसभा से कई बार कर चुके हैं दावेदारी
गौरतलब है कि जय सिंह कुशवाह भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वे कई पदों पर रहे हैं। पार्टी उन्हें “साडा” का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे चुकी है। लेकिन वे भाजपा में रहते हुए ग्वालियर पूर्व से विधानसभा का टिकट मांग चुके हैं। लेकिन पार्टी ने उनपर भरोसा नहीं किया। 2008 में अनूप मिश्रा को प्रत्याशी बनाया, 2013 में माया सिंह को और 2018 में सतीश सिंह सिकरवार को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया। लेकिन अब पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल के भाजपा में आने के बाद उनका दावा पूरी तरह से खत्म ही हो गया है। इसलिए माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस उन्हें ग्वालियर पूर्व से टिकट देती है तो वे अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता जय सिंह कुशवाह ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से कहा कि वे अभी भोपाल में हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा से मुलाकात करने के सवाल पर श्री कुशवाह ने कहा कि दोनों नेताओं से गुरुवार को फोन पर बात हुई थी शुक्रवार को मुलाकात होनी थी लेकिन नहीं हुई। दिग्विजय सिंह से मुलाकात हुई है, सब विकल्प खुले हैं लेकिन अभी फैसला नहीं लिया है।
जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के विरोध के बाद अलग थलग पड़े
पार्टी नेतृत्व द्वारा एक विवादित वीडियो और उसके बाद कार्यकर्ता के लिए के लिए कहे गए अपशब्द के बावजूद जिला महामंत्री कमल माखीजानी को प्रमोट कर जिला अध्यक्ष बनाये जाने का पार्टी के कई नेता विरोध कर रहे हैं। जय सिंह कुशवाह इस विरोध की अगुआई कर रहे हैं। ये विरोध मई में हुई जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से जारी है । इसमें उनके साथ पूर्व जिला अध्यक्ष देवेश शर्मा, जिला कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य डॉ उपेंद्र सिंह तोमर सहित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर गुट के अधिकांश नेता शामिल हैं। हालांकि केंद्रीय मंत्री तोमर ने इस विषय में कभी अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है । उधर विरोध कर रहे नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को कई बार स्पष्ट कर दिया कि जब तक कमल माखीजानी को हटाया नहीं जाता वे काम नहीं करेंगे। बावजूद इसके पार्टी ने अब तक इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा भाजपा की सरकार बनने के बाद से कई बार ग्वालियर आचुके हैं और पार्टी के नाराज नेताओं और ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं उमा भारती समर्थक नेताओं से घर जाकर मिल चुके हैं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ग्वालियर का दौरा कर चुके हैं लेकिन किसी ने भी पार्टी के पुराने नेताओं से मुलाकात नहीं की। इसी के बाद से जिला अध्यक्ष का विरोध कर अलग थलग पड़े वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों का धैर्य जवाब दे रहा है और वे अपनी उपेक्षा से दुखी हैं।