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Fri, Dec 19, 2025

Wednesday Special: मानसिक शांति और आरोग्य के लिए करें चमत्कारी गणेश कवच का पाठ, हर बाधा होगी दूर

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Wednesday Special: गणेश कवच भगवान गणेश को समर्पित एक स्तोत्र है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।
Wednesday Special: मानसिक शांति और आरोग्य के लिए करें चमत्कारी गणेश कवच का पाठ, हर बाधा होगी दूर

Wednesday Special: जिस तरह सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित होता हैं उसी प्रकार बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। बुधवार के दिन भक्तजन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि जब कभी भी घर में या कहीं भी शुभ कार्य होता है तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ आपको चमत्कारी स्तोत्र का पाठ भी करना चाहिए। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है उस व्यक्ति के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करना और गणेश कवच का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। गणेश कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने में मदद करता है। यदि आप जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको नियमित रूप से गणेश कवच का पाठ करना चाहिए।

गणेश कवच का महत्व

गणेश कवच का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करती है। गणेश जी बुद्धि और विद्या के देवता हैं। उनका आशीर्वाद व्यक्ति को सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है। गणेश जी सुख और शांति के देवता भी हैं। उनका पूजन करने से मन शांत होता है और जीवन में सुख-शांति आती है। गणेश जी आरोग्य के देवता भी हैं। उनका पूजन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।

गणेश कवच का पाठ कैसे करें

1. गणेश कवच का पाठ करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
2. एक आसन पर बैठकर भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित करें।
3. धूप और अगरबत्ती जलाएं।
4. भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हें प्रसाद अर्पित करें।
5. शांत मन से गणेश कवच का पाठ करें।
6. पाठ समाप्त करने के बाद भगवान गणेश से प्रार्थना करें।

गणेश कवच का पाठ करने का शुभ समय

गणेश कवच का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह या शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। बुधवार और शुक्रवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

गणेश कवचम्

ध्यायेत् सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहुमाद्ये युगे,

त्रेतायां तु मयूरवाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम्।

द्वापरे तु गजाननं युगभुजं रक्ताङ्गरागं विभुं,

तुर्ये तु द्विभुजं सितांगरुचिरं सर्वार्थदं सर्वदा ॥

विनायकः शिखां पातु परमात्मा परात्परः।

अतिसुन्दरकायस्तु मस्तकं महोत्कटः॥

ललाटं कश्यपः पातु भ्रूयुगं तु महोदरः।

नयने फालचन्द्रस्तु गजास्यस्त्वोष्ठपल्लवौ॥

जिह्वां पातु गणक्रीडश्चिबुकं गिरिजासुतः।

वाचं विनायकः पातु दन्तान् रक्षतु दुर्मुखः ॥

श्रवणौ पाशपाणिस्तु नासिकां चिन्तितार्थदः।

गणेशस्तु मुखं कण्ठं पातु देवो गणञ्जयः॥

स्कन्धौ पातु गजस्कन्धः स्तनौ विघ्नविनाशनः।

हृदयं गणनाथस्तु हेरंबो जठरं महान् ॥

धराधरः पातु पार्श्वौ पृष्ठं विघ्नहरः शुभः।

लिंगं गुह्यं सदा पातु वक्रतुण्डो महाबलः ॥

गणक्रीडो जानुजंघे ऊरू मङ्गलमूर्तिमान्।

एकदन्तो महाबुद्धिः पादौ गुल्फौ सदाऽवतु॥

क्षिप्रप्रसादनो बाहू पाणी आशाप्रपूरकः।

अंगुलींश्च नखान् पातु पद्महस्तोऽरिनाशनः॥

सर्वांगानि मयूरेशो विश्वव्यापी सदाऽवतु।

अनुक्तमपि यत्स्थानं धूम्रकेतुः सदाऽवतु॥

आमोदस्त्वग्रतः पातु प्रमोदः पृष्ठतोऽवतु।

प्राच्यां रक्षतु बुद्धीशः आग्नेयां सिद्धिदायकः॥

दक्षिणस्यामुमापुत्रो नैरृत्यां तु गणेश्वरः ।

प्रतीच्यां विघ्नहर्ताव्याद्वायव्यां गजकर्णकः॥

कौबेर्यां निधिपः पायादीशान्यामीशनन्दनः ।

दिवाऽव्यादेकदन्तस्तु रात्रौ सन्ध्यासु विघ्नहृत्॥

राक्षसासुरवेतालग्रहभूतपिशाचतः ।

पाशाङ्कुशधरः पातु रजस्सत्वतमःस्मृतिम् ॥

ज्ञानं धर्मं च लक्ष्मीं च लज्जां कीर्तिं तथा कुलम्।

वपुर्धनं च धान्यं च गृहदारान् सुतान् सखीन् ॥

सर्वायुधधरः पौत्रान् मयूरेशोऽवतात्सदा ।

कपिलोऽजाविकं पातु गजाश्वान् विकटोऽवतु॥

भूर्जपत्रे लिखित्वेदं यः कण्ठे धारयेत् सुधीः।

न भयं जायते तस्य यक्षरक्षपिशाचतः ॥

त्रिसन्ध्यं जपते यस्तु वज्रसारतनुर्भवेत्।

यात्राकाले पठेद्यस्तु निर्विघ्नेन फलं लभेत् ॥

युद्धकाले पठेद्यस्तु विजयं चाप्नुयाद्द्रुतम् ।

मारणोच्चाटनाकर्षस्तंभमोहनकर्मणि ॥

सप्तवारं जपेदेतद्दिनानामेकविंशतिम्।

तत्तत्फलमवाप्नोति साध्यको नात्रसंशयः ॥

एकविंशतिवारं च पठेत्तावद्दिनानि यः ।

कारागृहगतं सद्यो राज्ञावध्यश्च मोचयेत् ॥

राजदर्शनवेलायां पठेदेतत् त्रिवारतः।

स राजानं वशं नीत्वा प्रकृतीश्च सभां जयेत् ॥

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)