MP News : अनाज को सुरक्षित रखने के लिए कैसे करें भंडारण, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी उपयोगी सलाह

अनाज भंडारण के लिए जमीन का फर्श पक्का होना चाहिए, जिससे नमी नहीं आए। दीवारों पर फर्श से दो मीटर ऊँचाई तक कोलतार पोत देना चाहिए। यदि गोदाम में बोरे रखना हों तो लकड़ी के तख्तों पर बाँस की चटाई या 30 से.मी. बालू रेत बिछाकर उस पर बोरे रखना चाहिए। यदि अनाज मिट्टी की कोठियों में भरना हो तो उस पर कोलतार से पेंट करना अच्छा रहता है।

Atul Saxena
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MP News : किसान के लिए उसकी फसल जाना से भी ज्यादा कीमती होती है क्योंकि यही उसकी रोजी रोटी का साधन होती है इसलिए फसल बुवाई से लेकर उसके भंडारण तक फसल की बच्चे की तरह देखभाल करनी होती है,  कृषि वैज्ञानिकों ने फसल के भंडारण को लेकर उपयोगी सलाह दी है।

अनाज भंडारण साफ-सुथरे और पक्के कक्ष में करें 

रबी मौसम की फसलों की कटाई हो चुकी है और अनाज किसानों के घरों में आ चुका है। इस बात को ध्यान में रखकर कृषि विशेषज्ञों ने किसान भाईयों को अनाज का ठीक ढंग से भंडारण करने की सलाह दी है। किसान भाईयों को सलाह दी गई है कि अनाज भंडारण साफ-सुथरे और यथासंभव पक्के कक्ष में करना चाहिए। यदि भण्डारगृह की दीवारों, छतों और फर्श में दरारें आ गई हों तो उन्हें सीमेंट लगाकर बंद कर देना चाहिए। यदि चूहों ने बिल बना लिए हों तो कांच एवं कंक्रीट भरकर सीमेंट लगाना सही रहता है। दरवाजे खिड़कियाँ बाहर खुलने वाली हों और उनमें बारीक जाली लगी होनी चाहिए। भंडारगृह या गोदामों की पुताई चूने में फिटकरी या 50 प्रतिशत मेलाथियान मिलाकर करना सही रहता है।

मिट्टी की कोठियों में अनाज भरना हो तो इस बात का रखें ध्यान 

अनाज भंडारण के लिए जमीन का फर्श पक्का होना चाहिए, जिससे नमी नहीं आए। दीवारों पर फर्श से दो मीटर ऊँचाई तक कोलतार पोत देना चाहिए। यदि गोदाम में बोरे रखना हों तो लकड़ी के तख्तों पर बाँस की चटाई या 30 से.मी. बालू रेत बिछाकर उस पर बोरे रखना चाहिए। यदि अनाज मिट्टी की कोठियों में भरना हो तो उस पर कोलतार से पेंट करना अच्छा रहता है। मिट्टी की कोठी बनाते समय दो सतह के बीच में पॉलीथिन लगाना चाहिए, जिससे नमी अंदर न जाए। यदि अनाज बोरों में भरना हो तो बोरों को 50 प्रतिशत मेलाथियान के घोल से उपचारित कर लेना चाहिए। गोदाम में बोरों की थप्पियाँ लगाते समय 20 प्रतिशत स्थान खाली रखना चाहिए अर्थात थप्पियाँ छत तक नहीं लगाना चाहिए। दलहनी फसलों को दाल बनाकर रखना अच्छा रहता है।

ध्यान रखें फफूंद ना लगे, बीमारियों को जन्म देता है 

अनाज का ठीक ढंग से भंडारण न होने से अम्लीयता बढ़ जाती है और अनाज में दुर्गन्ध आने लगती है। फफूंद लगने से अनाज का रंग काला होकर बदरंग हो जाता है, जिससे उपज के अच्छे दाम नहीं मिलते। साथ ही फफूंद की वजह से अनाज जहरीला भी हो जाता है, जो तमाम जानलेवा बीमारियों को जन्म देता है। उचित भंडारण न होने से बीज की अंकुरण क्षमता भी घट जाती है। इसलिए किसान भाईयों को पूरी सावधानी के साथ अनाज का भंडारण करना चाहिए।

बीज भंडारण के लिए सावधानियाँ

बीज का भंडारण धातु की कोठी में नहीं करना चाहिए। बीज को बोरों में भरकर रखना अच्छा होता है। बीज के लिये रखे गए अनाज को मेलाथियान के चूर्ण से उपचारित करना चाहिए। बोरों की थप्पी 4 से 6 बोरों से अधिक न हो। अनाज को छानकर अच्छी तरह साफ करके व धूप में सुखकर रखना चाहिए। नए बीज को पुराने बीज के साथ मिलाकर रखना ठीक नहीं होता। कीड़ों का आक्रमण पता चलते ही मेलाथियान के घोल का छिड़काव करना चाहिए। अनाज पर ईडीबी से ध्रूमण भी करना ठीक रहता है। बीज के अनाज को तिरपाल या पॉलीथिन से ढँक देना चाहिए। बीज में 8 से 10 प्रतिशत नमी से अधिक न हो।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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