मध्यप्रदेश संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार से आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने की मांग की है। इसे लेकर उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की। संघ का कहना है कि प्रदेशभर के शासकीय अस्पतालों में लगभग 30 हज़ार से ज्यादा कर्मचारी पिछले कई वर्षों से डेटा एंट्री ऑपरेटर, सपोर्ट स्टाफ, बायोमेडिकल टेक्नीशियन, सुरक्षा कर्मी, सफाईकर्मी समेत अन्य पदों पर कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें समय पर और पूरा वेतन नहीं मिल रहा है।
संघ की प्रदेशाध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया कि निजी कंपनियों के माध्यम से कर्मचारियों को 60 से 70 प्रतिशत वेतन ही दिया जा रहा है। कई जिलों में 5 से 6 महीने तक वेतन भुगतान लंबित है, जिसके चलते कर्मचारियों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री के सामने अपनी मांगें रखी
मध्यप्रदेश संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने प्रदेश सरकार के सामने अपनी मांगें रखी हैं। इन कर्मचारियों ने अपनी वेतन भुगतान और नियमितीकरण सहित आठ सूत्रीय प्रमुख मांगों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला से मुलाकात की। उन्होंने कहा है कि यदि समय रहते उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। संघ ने चेतावनी दी कि आंदोलन के दौरान उत्पन्न परिस्थितियों की पूरी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश शासन की होगी। फिलहाल, राजेंद्र शुक्ला ने कहा है कि इनकी मांगों पर चर्चा की जाएगी।
प्रमुख 8 मांगें
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्य कर चुके संविदा सपोर्ट स्टाफ को विभाग में रिक्त पदों पर नियमित किया जाए या पुनः मिशन में समाहित किया जाए।
- उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति आयोग का गठन किया जाए।
- जब तक कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं, तब तक उन्हें विभाग के रिक्त पदों पर नियमित किया जाए।
- विगत में सेवाएं दे चुके कर्मचारियों को भी पुनः नियमित किया जाए।
- महिला कर्मचारियों को छह माह का मातृत्व अवकाश एवं शासकीय सेवकों के समान सुविधाएं दी जाएं।
- नीति आयोग का गठन किए बिना किसी भी कर्मचारी को सेवा से पृथक न किया जाए।
- नियमितीकरण की वार्षिक समीक्षा अनिवार्य की जाए।
- संविदा नीति 2018 एवं 2023 को महंगाई भत्ते सहित पूर्ण रूप से लागू किया जाए।





