इंदौर| कमलनाथ मंत्रिमंडल में इंदौर का सूखा ख़त्म हो गया| लम्बे अरसे से इंदौरवासियों में मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व की मांग थी| पिछली सरकार में जब भी मौके आये, सिर्फ नामों पर चर्चा हुई और अंतिम समय में इंदौर खाली हाथ रहा| लेकिन इस बार इंदौर से दो मंत्री बने हैं| राऊ विधायक जीतू पटवारी और सांवेर विधायक तुलसी सिलावट को कमलनाथ मंत्री मंडल में जगह मिली है। वहीं नई सरकार में मालवा निमाड़ का भी दबदबा है|मालवा-निमाड़ से सबसे ज्यादा 9 मंत्रियों ने शपथ ली है| कमलनाथ कैबिनेट में 28 मंत्रियों ने मंगलवार को शपथ ली है, जिसमे से 9 मालवा निमाड़ से हैं| क्यूंकि यही वो क्षेत्र है, जहां से मिली बढ़त ने सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। कई ऐसे विधायक भी चुनाव जीते हैं, जो दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री थे।
शिवराजसिंह सरकार मंत्रिमंडल में इंदौर से बीते सालो में किसी को भी प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिल पाया है। कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में इंदौर से मंत्री पद के लिए सुदर्शन गुप्ता और रमेश मेंदोला का दावा मजबूत रहा, लेकिन सरकार ने दोनों को ही मंत्री नहीं बनाया। जबकि साल 2013 में भाजपा ने यहां 8 सीट जीती थी। चुनाव से 9 माह पहले शिवराज कैबिनेट के अंतिम विस्तार के दौरान भी यह चर्चा थी कि इस बार इंदौर से दो विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा| इंदौर से सुदर्शन गुप्ता और रमेश मेंदोला के नाम हर बार की तरह इस बार भी मंत्री पद की रेस में आगे थे, लेकिन ऐनवक्त पर दोनों के नाम सूची से कट गए, और नारायण सिंह कुशवाह, जालम सिंह पटेल और बालकृष्ण पाटीदार ने मंत्री पद की शपथ ली| इस बार बीजेपी 15 साल बाद सत्ता से बाहर इंदौर में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है| यहां की 9 विधानसभा सीटों में से 5 पर भाजपा और 4 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। जिसके चलते इस बार इंदौर से मंत्रिमंडल में दो नाम शामिल किये गए हैं| वहीं मालवा निमाड़ से इस बार 9 मंत्री बनाये गए हैं| शिवराज सरकार में मालवा-निमाड़ से छह विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिला था। इस बार इंदौर से दो, खरगोन से दो, धार से दो, शाजापुर से एक, बड़वानी से एक और देवास जिले से एक मंत्री बना है|
मालवा-निमाड़ से ये मंत्री
विजय लक्ष्मी साधो – साधो महेश्वर से तीसरी बार विधायक बनी हैं। वे दिग्विजय सिंह की करीब मानी जाती हैं। दिग्विजय सरकार में मंत्री के साथ वे राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं।
सज्जन सिंह वर्मा – सोनकच्छ से विधायक वर्मा सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वे कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं।
हुकुम सिंह कराड़ा – दिग्विजय सरकार में मंत्री रह चुके कराड़ा शाजापुर सीट से 5 बार विधायक चुने जा चुके हैं। वे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं।
बाला बच्चन – राजपुर सीट से विधायक बाला बच्चन पूर्व मंत्री और उपनेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। आदिवासी नेता के रूप में जाने जाने वाले बच्चन कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं।
सचिन यादव – कसरावद विस से दूसरी बार विधायक बने सचिन यादव कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के भाई हैं। उनके पिता स्वर्गीय सुभाष यादव मप्र के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।
सुरेंद्र सिंह बघेल – कुक्षी से दूसरी बार विजयी हुए बघेल एसटी वर्ग में युवा चेहरे हैं। उनके पिता स्वर्गीय प्रताप सिंह बघेल मंत्री रह चुके हैं। बघेल कमलनाथ गुट के माने जाते हैं।
तुलसी राम सिलावट – सांवेर सीट से चौथी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे, सिलावट कांग्रेस पार्लियामेंट्री बोर्ड के सचिव रह चुके हैं। वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेहद करीबी माने जाते हैं।
उमंग सिंघार – गंधवानी से तीसरी बार विधायक बने सिंघार पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुनादेवी के भतीजे हैं। वे दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं।
जीतू पटवारी- राऊ से दूसरी बार विधायक बने जीतू पटवारी की पहचान किसान नेता के रूप में होती है। जीतू प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ ही राहुल गांधी की टीम के सदस्य माने जाते हैं।