भोपाल। 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले मध्यप्रदेश समेत अन्य पांच राज्यों के चुनाव को सेमी फाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा को केंद्र में एक बार फिर सत्ता में आने का पूरा विश्वास है। लेकिन इस विश्वास में कितना घात पहुंचेगा इसका जवाब तो बुधवार को प्रदेश की जनता ही देगी। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव प्रचार में भाजपा ने एक बड़ी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री शिवराज को प्रचार में आगे रखा। वह भाजपा के असल स्टार प्रचारक के तौर पर देखे गए। पीएम मोदी की सभाओं पर उनकी जनसभाएं भारी पड़ती दिखाई दी। इसकी पीछे भाजपा की एक बड़ी रणनीति थी।
दरअसल, देश में अगली साल लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहती थी। इसलिए पीएम मोदी की सभाएं भी प्रदेश में गिनी चुनी हुईं। क्योंकि एमपी में इस बार मुकाबला टक्कर का है। कोई भी मतदाताओं का मूड भांप नहीं पा रहा है। इसलिए भाजपा ने शिवराज को आगे रखते हुए उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ना ठीक समझा। वह इसलिए अगर चुनाव परिणाम में कोई गड़बड़ी होती है तो इसका ठीकरा सीधा शिवराज के खिलाफ विरोधी लहर को लेकर फोड़ा जाएगा। अगर पीएम मोदी को भाजपा एमपी के रण में केंद्र में रखकर चुनाव लड़ती और नतीजे कुछ और आएं तो उनकी साख गिरेगी और इसका असर लोकसभा चुनाव पर दिखता। इस पूरी रणनीति के तहत शिवराज को ही सब जगह प्रेजेक्ट किया गया।
हमारा नेता शिवराज
इस बार भाजपा ने अपने विज्ञापन को पूरी तरह शिवराज पर केंद्रित रखा। उनको मोदी की तस्वीर के साथ हर विज्ञापन में दिखाया गया। जिसके साथ एक पंच लाइन भी प्रकाशित की गई। माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज। सूत्रों के मुताबिक शिवराज खुद भी चाहते थे कि वह केंद्र में रहें। जिससे जनता से अधिक से अधिक जुड़े रहें। राजनीति के जानकारों का कहना है कि विज्ञापन में किसी नेता को प्रजेक्ट करने का मतलब है कि मुद्दों को से हटकर बात करना।
शाह मोदी की जुबान पर भी शिवराज
प्रदेश में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी मैदान में उतरे। लेकिन उनके भाषणों में शिवराज ही केंद्र में रहे। शाह और मोदी ने जनसभाओं में शिवराज के कामों का जमकर बखान लगाया। इससे पहले उमा भारती ने भी बयान दिया था कि मध्य प्रदेश में भाजपा की टीआरपी सिर्फ शिवराज हैं।
मोदी संग जीएसटी और नोटबंदी का भूत
पीएम मोदी ने नोटबंदी कर काले धन को उजागर करने के ख्वाब दिखाए थे। नोटबंदी से क्या हासिल हुआ यह तो आज भी चर्चा का विषय है। लेकिन उनके साथ अब नोटबंदी भूत की तरह चिपक गया है। वह जहां जाते हैं कांग्रेस वहीं इस मुद्दे को उठाकर नोटबंदी के दौरान लोगों को हुई परेशानियों याद दिलाकर उनके जख्मों को हरा कर देती है। यही नहीं हाल ही में राफेल घोटाला को लेकर भी मोदी पर विपक्ष हमलावर है। इसलिए भले भाजपा प्रत्याशी कुछ कह न सके हों लेकिन दबी जुबान वह मोदी से अधिक शिवराज के प्रचार पर भरोसा कर रहे हैं।