भोपाल| मुख्यमंत्री कमलनाथ की पहली प्रशासनिक सर्जरी ही विवादों के घेरे में आ गई है। इस प्रशासनिक सर्जरी में कमलनाथ ने उन अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों से नवाज दिया है जिनके विभागों पर उनकी प्रमुख सचिव रहते ई टेंडरिंग घोटाले के आरोप लगे हैं। दरअसल ई टेंडरिंग घोटाला अपने आप में एक अनूठा घोटाला है जिसकी जांच चल रही है और इस घोटाले में मध्य प्रदेश सरकार के कई विभाग जिनमें लोक निर्माण ,लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ,महिला बाल विकास, नगरीय विकास और आवास विभाग नर्मदा घाटी जैसे विभाग शामिल है, शक के घेरे में है। इस घोटाले में आवाज उठाने वाले आईटी विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी को पीएचई के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल से की गई शिकायत के बाद छुट्टी पर भेज दिया गया था और मुख्य सचिव के कहने के बाद भी ईओडब्लू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की थी। इन्ही प्रमोद अग्रवाल को नगरीय प्रशासन विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया गया है और उनके स्थान पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल को पदस्थ किया गया है।
लंबे समय तक आईटी विभाग के कर्ताधर्ता रहे मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव को भी प्राइम पोस्टिंग दी गई है। इन सब नियुक्तियों के पीछे मध्य प्रदेश के एक पूर्व मुख्य सचिव का हाथ बताया जा रहा है जो छिंदवाड़ा में कभी पदस्थ रह चुके हैं और वे लगातार अपनी पुरानी लाबी की प्राइम पोस्टिंग के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे थे। प्रशासनिक गलियारों में यह खबर है कि अगर इसी कॉकस को मजबूत करना था तो फिर शिवराज सिंह चौहान का शासन क्या बुरा था और जिन अधिकारियों ने लंबे समय तक लूप लाइन पोस्टिंग जैसी प्रताड़ना झेली वह आज फिर एक बार अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। अब सवाल यह भी है कि जब जिन विभागों के प्रमुख सचिव रह चुके आईएस एक बार फिर प्राइम पोस्टिंग पा गए हैं तो ई टेन्डरिन्ग घोटाले का अंजाम क्या होगा, यह सहज समझा जा सकता है|