MP Election 2023 : ‘जातिगत सर्वेक्षण’ के मुद्दे पर कमलनाथ ने बीजेपी को घेरा, कहा ‘भाजपा सामाजिक हक़मारी का प्रतीक है’

MP Election 2023 : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ‘जातिगत सर्वेक्षण’ के मुद्दे पर भाजपा को घेरा है। पटना हाई कोर्ट द्वारा जातिगत सर्वेक्षण कराने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किए जाने के बाद कमलनाथ ने कहा है कि बीजेपी इसके कानूनी तर्कों में उलझाकर बंद करना चाहती थी, लेकिन अदालत ने सामाजिक और आर्थिक न्याय का रास्ता खोल दिया है।

2024 के चुनाव में अहम होगा जातिगत जनगणना का मुद्दा

बता दें कि भारत की 26 प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने भी बेंगलुरु में हुई बैठक के बाद एक बयान जारी किया था जसमें जातिगत जनगणना कराने की मांग भी शामिल थी। देश में ये मांग कई दशक पुरानी है लेकिन बीजेपी इसके खिलाफ है। जातिगत जनगणना के आधार पर अलग अलग जातियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण और अन्य शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाना खास मकसद है। लेकिन माना जाता है कि बीजेपी को इस बात का डर है कि इससे उसके सवर्ण वोटर्स नाराज हो सकते हैं। इसी के साथ उसे अपन परंपरागत हिंदू वोट बैंक के हाथ से फिसलने का भी खतरा हो सकता है। इसीलिए बीजेपी जातिगत जनगणना का विरोध करती आई है। वहीं अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश में है और इससे उन्हें दलित और पिछड़े वर्ग के वोट को साधने में भी मदद मिलेगी।

कमलनाथ ने किया ट्वीट

इस मुद्दे पर बिहार हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा है कि ‘भाजपा ‘जातिगत सर्वेक्षण’ को क़ानूनी तर्कों में उलझाकर बंद करवाना चाहती थी लेकिन माननीय पटना उच्च न्यायालय ने इस पर लगी रोक को हटाकर हर वंचित, शोषित के लिए ‘सामाजिक न्याय’ ही नहीं बल्कि आने वाले समय में ‘आर्थिक न्याय’ का भी रास्ता खोल दिया है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग जब अपने अधिकारों के लिए मिलकर एक साथ खड़े हो जाएँगे तो ये प्रभुत्ववादी सोच के गिनती के लोग सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली इस गिनती-गणना के आगे कहीं नहीं टिकेंगे। जातीय जनगणना सबके हक़ की आनुपातिक हिस्सेदारी की राह खोलेगी और सच में लोकतंत्र की दिशा नीचे-से-ऊपर की ओर जाएगी। भाजपा की सामंती सोच ग़ैर-बराबरी और दमन की रही है, इसीलिए वो ग़रीब-कमज़ोर के हक़ को मारने के लिए जातीय जनगणना की विरोधी है। जनता जातीय जनगणना को रोकनेवाली भाजपा को अगले चुनाव में इस तरह बहिष्कृत करेगी कि मतगणना के दिन न तो उनके नेता दिखाई देंगे और न ही उनके प्रत्याशी। भाजपा सामाजिक हक़मारी का प्रतीक है।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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