भोपाल, दिव्या गोयल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर में ग्राम मानपुर के शासकीय अस्पताल (Government Hospital) पर भी बाढ़ का कहर टूटा । यहां के शासकीय स्वास्थ केन्द्र में 30 से भी अधिक मरीज भर्ती थे। जिनमें गर्भवती महिलाएं, नवजात बच्चे थे जिनका जन्म कुछ समय पहले ही हुआ था। अचानक बाढ़ का पानी अस्पताल में भरने लगा। अस्पताल ऊंचाई पर होने के कारण कुछ ही देर में टापू (MP Flood) बन गया।
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पानी इतना कि किसी का भी वहां तक पहुंच पाना मुश्किल था। तभी मरीजों के फंसे होने की सूचना SDRF टीम को मिली और उन्होंने तत्काल बोट की सहायता से सभी को निकाला।शिवपुरी जिले के पोहरी ग्राम में तीन आदिवासी युवक बाढ़ में फंस गए। वे एक पेड़ पर चौबीस घंटे से भी ज्यादा समय तक टंगे रहे। गुजरते समय के साथ जिंदा रहने की उनकी उम्मीद भी धुंधली होती जा रही थी। सूचना मिलने पर आर्मी और एसडीईआरएफ की टीम इन्हें बचाने में जुटी। आर्मी ने इन्हें बचाने के लिए दो बार प्रयास किए लेकिन अंत में होमगार्ड के जवानों ने इन्हें उस पेड़ से सही सलामत बचाया।
श्योपुर –शिवपुरी में आई बाढ़ ने ऐसी तबाही मचायी है कि जिसका हर मंजर खौफनाक है। बाढ़ में फंसे लोग जिनके सामने मौत तांडव कर रही थी, जो भगवान भरोसे थे, उन्हें बचाने के लिए सबसे पहले आगे आयी मध्यप्रदेश पुलिस की एसडीईआरएफ की टीम। आसमान से ऐसी आफत बरसी जिसने हजारों घरों को बर्बाद कर दिया। अचानक आए इस सैलाब में गांव के गांव डूब गए। 27जुलाई से शुरु हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन अभी तक जारी है। छोटे-छोटे गांवों में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। ग्वालियर चंबल संभाग के शिवपुरी, दतिया, भिण्ड और मुरैना जिलों में अतिवृष्टि के कारण हालत बहुत खराब हो गए हैं।
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श्योपुर में जिला सेनानी और SDRD के प्रभारी कुलदीप मलिक बताते हैं कि उन्होंने ऐसा प्रलय कभी नहीं देखा। कई इलाकों में तो दो-दो मंजिल तक पानी भरा हुई था। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाके के साथ –साथ शहर की भी स्थिति खराब थी ,लेकिन हर एक जान बचाना हमारा कर्तव्य था। जहां – जहां लोगों के फंसे होने की सूचना आती वहां रेस्क्यू टीम तत्काल पहुंच जाती। उनका कहना है कि लगातार चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में टीम ने अपनी चिंता किए बगैर खुद को पूरी तरह झोंक दिया।
विजयपुर के स्थानीय व्यक्ति अनिल बंसल कहते हैं कि यहां ग्रामीण अंचल में बाढ़ आती रहती है लेकिन इस बार आयी बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया। पहले ही कोरोना की वजह से सैकड़ों परिवार उजड़ गए थे और अब इस बाढ़ ने रही सही कसर भी पूरी कर दी। जिनका करोड़ों का व्यापार था, फसल थी, अनाज के बड़े भंडार थे सब पूरी तरह तबाह हो गए। ग्वालियर चंबल संभाग मे आयी इस प्रलयकारी आपदा में मध्यप्रदेश पुलिस की ईकाई होमगार्ड और एसडीईआरएफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। यह फर्स्ट रिस्पांस टीम थी जिसने बाढ़ में तत्काल राहत कार्य का मोर्चा संभाला और आर्मी के आने तक बाढ़ में फंसे लोगों को लगातार निकाला।
10 हजार से ज्यादा लोगों को बचाया
NDRF की आईजी दीपिका सूरी ने बताया की रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी सतत् जारी है। अभी तक तकरीबन 10 हजार से भी ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है। आपदा प्रबंधन के कालसेंटर द्वारा स्थिति की पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है। किसी भी प्रकार की सूचना मिलने पर फंसे लोगों तक तत्काल सहाया पहुंचायी जा रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल होमगार्ड तथा SDRF की 45 टीमों में 5 हजार से भी अधिक रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। एक लंबा थका देने वाला ऑपरेशन होने के बाद भी पुलिस के जवान थके नहीं हैं। उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि मुसीबत में फंसे लोगों को बचाया जाए क्योकिं हर एक जीवन मूल्यवान है।