जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) ने एक बार फिर से सख्ती अपनाई है। राज्य सरकार पर एक तरफ जहां 25 हजार रुपए का जुर्माना (Fine) लगाया गया है। वहीं किसानों को गेहूं खरीदी के बकाए पैसे का भुगतान नहीं करने के मामले में कड़ी फटकार भी लगाई गई है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन के कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार एक तरफ तो खुद को किसान हितेषी बता रही है। वही 3 साल से किसानों से जुड़े मुद्दे पर जवाब तक पेश नहीं कर पाई है।
जानकारी के मुताबिक साल 2018 में सरकार द्वारा गेहूं खरीदी की गई थी। हालांकि उसका भुगतान अब तक किसानों को नहीं किया गया है। जिस पर अब न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सरकार पर 25000 रूपए का जुर्माना लगा दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जुर्माने की राशि जवाब पेश नहीं करने वाले दोषी अधिकारी से 10 दिन के भीतर वसूली जाएगी और उसे हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा कराया जाएगा।
इतना ही नहीं कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान एसडीओ विजयराघौगढ़ और प्राथमिक कृषि साख समिति बरही के सचिव को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जुर्माना राशि जमा करने के साथ ही सरकार को जवाब पेश करना होगा। वही मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
बता दें कि कटनी के प्रमोद कुमार चतुर्वेदी सहित आठ किसान ने वर्ष 2019 में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील सुरेंद्र कुमार मिश्रा ने पक्ष रखा। याचिकाकर्ता प्रमोद कुमार चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि 2018 में सरकार के द्वारा खरीदे गए गेहूं का भुगतान अभी तक नहीं किया गया। 4 साल गेहूं खरीदी के बीत गए हैं। बार-बार किसान अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगा रहे थे। फिर भी उन्हें अब तक उनके बकाए का भुगतान नहीं मिला। जिसके बाद 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
वहीं राज्य शासन की ओर से इस मामले में वकील जीतेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय से तीन बार रिमाइंडर भेजा गया लेकिन अब तक कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने जुर्माने की राशि जमा करने की शर्त पर राज्य शासन को जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत दी है।