भोपाल| मध्य प्रदेश में नई सरकार अपनी कर्जमाफी की घोषणा के तहत तारीख में संशोधन कर सकती है| घोषणा में पैदा हुई गफलत की स्तिथि को संभालने के लिए बड़ा फैसला लिया जा सकता है| क्यूंकि विपक्ष ने भी सरकार के कर्जमाफी के फैसले पर कडा रुख अपनाया है और इसे आने वाले समय में मुद्दा बनाने की फ़िराक में है| जिसके चलते कर्जमाफी के आदेश में तय तारीख 31 मार्च 2018 को नवंबर या दिसम्बर तक किया जा सकता है| मंत्रिमंडल गठन के बाद दूसरे दिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी| जिसमे कृषि विभाग को लेकर चर्चा हुई है| इस बैठक में किसानों से जुड़े मुद्दे, जिसमें उर्वरक की आपूर्ति से लेकर कांग्रेस के वचन पत्र में शामिल किसानों से जुड़े बिंदुओं पर मंथन किया गया।
बैठक में कृषि ऋण माफ़ करने को लेकर चर्चा हुई है| कर्जमाफी पर मंत्रियों ने अपने सुझाव दिए हैं| कर्जमाफी की समय सीमा को लेकर चर्चा हुई है| सीएम ने सभी मंत्रियों के सुझाव सुने, इस पर विचार किया जाएगा| मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि 5 जनवरी को कैबिनेट की बैठक होगी| इसके अगले दिन सीएम ने 6 जनवरी विधायक दल की बैठक बुलाई है| सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सभी विधयकों से कर्जमाफी को लेकर फीडबैक लिया जाएगा| जिस तरह से कर्जमाफी की घोषणा के बाद अलग अलग तरह के सुझाव सामने आये हैं, उसमे सबसे ज्यादा चर्चा समय सीमा को लेकर है| कांग्रेस के नवागत मंत्री बाला बच्चन ने कहा है कि ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को फायदा हो इसलिए समय सीमा में संशोधन किया जा सकता है| विधायक दल की बैठक में भी इस पर चर्चा होगी| सूत्रों के मुताबिक किसानों के क़र्ज़ माफ़ी की तारीख में बदलाव किया जा सकता है, अभी 31 मार्च 2018 की तारीख आदेश में है, इसको जून या दिसम्बर तक किया जा सकता है|
दरअसल शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद कमलनाथ ने जिस पहली फाइल पर दस्तखत किए उसमें मध्य प्रदेश के किसानों का अल्पकालीन फसल ऋण दो लाख रू तक माफ करने की घोषणा की थी। इस घोषणा में ऋण माफी के लिए यह शर्त रखी गई थी कि जिन किसानों ने 31 मार्च 2018 तक ऋण लिया है, उन्हीं के ऋण माफ होंगे। लेकिन पड़ोस की राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने भी ऋण माफी की घोषणा की है और इस ऋण माफी की घोषणा में कर्ज माफी के लिए नियत तिथि 30 नवंबर 2018 रखी गई है। इतना ही नहीं राजस्थान की सरकार ने तो सहकारी बैंकों के किसानों के लिए ऋण माफी की अधिकतम राशि अनलिमिटेड घोषित की है। अब ऐसे में सवाल यह है कि मध्य प्रदेश के किसान जिन्होंने 31 मार्च 2018 के बाद में फसल ऋण लिया वह इस योजना के लाभ से वंचित रहेंगे जबकि पड़ोस के राजस्थान और छत्तीसगढ़ के किसानों को इसका लाभ मिलेगा। आने वाले समय में यह कमलनाथ की कांग्रेस सरकार के लिए सरदर्द साबित होगा और उन्हें निश्चित ही किसानों के रोष का सामना करना पड़ेगा। वहीं विपक्ष भी सरकार की कर्जमाफी की घोसना पर नजर गड़ाए हुए है| पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार कांग्रेस पर कर्जमाफी को लेकर निशाना साध रहे हैं| जिसके चलते कहीं विपक्ष के हाथों सरकार के खिलाफ यह एक बड़ा मुद्दा न बने इसको लेकर सरकार अपने आदेश में संशोधन कर सकती है| इसको लेकर विधायकों से भी सुझाव लिया जाएगा, जिसके बाद इसे कैबिनेट में रखे जाने की सम्भावना है|