MP News: हाई कोर्ट ने 4 मार्च को ओबीसी आरक्षण की सुनवाई को 12 मार्च तक टाल दिया है। शिक्षक भर्ती 2018 (Teacher Recruitment Case) समेत 2019 के बाद से जितनी भी भर्तीयां राज्य में आई सभी आरक्षण के भेंट चढ़ गई। ना तो समय पर भर्ती पूरी हुई और ना ही आरक्षण पर कोई फैसला आया। आज भी कई भर्तियां आरक्षण के कारण लटकी हुई हैं। जिसके कारण 13% युवा और उनके परिवार का भविष्य भी अंधकार में है।
नाराज अभ्यर्थियों का कहना है कि, “यदि चुनाव से संबंधित कोई फैसला होता तो सरकार समय सीमा तय करती और फैसला समय पर आ जाता। लेकिन बात बेरोजगार युवाओं के भविष्य की है,आम आदमी के भविष्य की है। इसलिए आरक्षण संबंधित सभी याचिकाओं पर ना तो समय पर सुनवाई होती हैं और ना ही फैसला आने के कोई आसार हैं।”
कोर्ट के अधीन है 13% भर्तियाँ
2018 के बाद सरकारें बदली और 2023 का चुनाव भी हो गया इसके बाद भी न्यायालय से कोई फैसला नहीं आया। कई भर्तीयों के रिजल्ट रोके गए, तो कई भर्तीयों पर होल्ड लगाया गया। पिछले कुछ दिनों से 87% और 13% के फैसले पर विवाद चल रहा है कि यह नियम किसने बनाया? आज तक कोर्ट का हवाला देकर 13% पदों को होल्ड करके रखा गया। नियमों का हवाला दिया गया और कहा कि 13% पदों पर नियुक्तियां कोर्ट के अधीन रहेगी। लेकिन आज कोर्ट भी इस फैसले से इनकार कर रही है। यदि न्यायालय की तरफ से ऐसा कोई फैसला नहीं आया है तो 13% हो पदों को होल्ड करने का फैसला कहां से आया? जिसके कारण हजारों बेरोजगार युवाओं के भविष्य पर दांव खेला गया।
2018 से होल्ड पर है फैसला
मध्य प्रदेश में 2018 सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस की सरकार आई और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ओबीसी वर्ग को साधने की मंशा से ओबीसी आरक्षण 14% से 27% कर दिया। बिना इसके न्यायिक पहलू जाने उन्होंने इस कदम को अमलीजामा पहनाने का प्रयास किया। लेकिन 11 महीने के बाद ही सत्ता फिर परिवर्तित हुई और पुनः मध्य प्रदेश में शिवराज के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद मध्य प्रदेश में जितनी भी भर्तीयां हैं, उन सभी पर 13% पदों को होल्ड करके न्यायालय के फैसले के अधीन रखा है। यानी कि किसी भी भर्ती में ओबीसी आरक्षण की सीमा 14% से अधिक नहीं बढ़ाई गई।
अभ्यर्थी कर रहें आदेश के कॉपी की मांग
शिक्षक भर्ती 2018 की अभ्यर्थी रक्षा जैन और रचना व्यास कई बार विभाग से इस विषय पर जानकारी प्राप्त करनी चाही। शिक्षा विभाग की आयुक्त महोदय और जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि हमें सरकार ने यह आदेश दिया है, उन्होंने इस भर्ती को 14% करने का आदेश दिया था। अभ्यर्थी विभाग से उस आदेश की कॉपी चाहते हैं, जिसके तहत यह कार्य किया गया या सिर्फ सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास कि गया है। जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी मनमानी करते हुए समय-समय पर भर्ती के नियमों में संशोधन किया और भर्ती को उलझा दिया। पीड़ित अभ्यर्थी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कई बार अवगत कराने पहुंचे। उन्हीं के समय की यह भर्ती चली आ रही है और आज मोहन यादव जी के संज्ञान में भी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि विभाग में बैठे जिम्मेदार अधिकारी अपनी मनमर्जी के मुताबिक लोगों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।”
सरकार से अधूरी शिक्षक भर्ती 2018 को पूरा करने की मांग
कैंडीडेट्स ने कहा, “मध्य प्रदेश का युवा सरकार से न्याय की आस करता है। जनता सरकार को वोट करती है, अधिकारियों को नहीं। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह अभ्यर्थियों की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास हर स्तर पर करें और इस अधूरी शिक्षक भर्ती 2018 को पूर्ण करते हुए मध्य प्रदेश की अन्य सभी भर्तियों को पूरा करें।”