भोपाल। प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों में अब अफसरशाही से काम होगा। क्योंकि क्योंकि मंडी समितियों का अतिरिक्त कार्यकाल भी 5 जनवरी को खत्म होने जा रहा है। इसके साथ ही सभी 257 मंडियों में किसानों का राज खत्म होने जा रहा है। शुक्रवार को मंडी समितियां भंग करते हुए मंडियों के संचालन की कमान अधिकारियों के हाथों में सौंपी गई है। मंडी चुनाव नहीं होते, तब तक मंडियों की व्यवस्था प्रशासक देखेंगे। कृषि मंत्रालय के अनुसार मंडियों का संचालन 6 जनवरी से भारसाधक अधिकारियों को सौंपा जाएगा।
प्रदेश में तत्कालीन भाजपा सरकार ने मंडी समितियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद समितियों के चुनाव नहीं कराए थे, बल्कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंडी समितियों का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था। जो शनिवार यानी 5 जनवरी को खत्म हो गया है। विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने मंडी समितियों के चुनाव कराने को लेकर कोई रणनीति नहीं बनाई है। वहीं कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा सरकार भी अगले लोकसभा चुनाव तक मंडी समितियों के चुनाव कराने की स्थिति में नहीं दिख रही है। क्योंकि राज्य सरकार की प्राथमिकता किसानों का कर्ज माफी एवं वचन पत्र पर काम करना है। यही वजह है कि कृषि विभाग मंडियों की कमान अफसरों को दे रही है|
इसलिए नहीं कराए चुनाव
मंडी समितियों का कार्यकाल 6 जुलाई 2018 को समाप्त हो गया था। उस समय राज्य सरकार ने चुनाव कराने की अपेक्षा समितियों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। जिसकी वजह यह रही कि सरकार विधानसभा चुनाव से पहले किसानों से जुड़ा कोई भी चुनाव कराने के मूड में नहीं थी। क्योंकि उस समय प्रदेश में किसानों में सरकार के प्रति आक्रोश था। यदि मंडी समितियों के चुनाव में भाजपा की हार होती तो फिर उसका असर विधानसभा चुनाव में पड़ता। हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हो गई। अब कांगे्रस सरकार के सामने लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने की चुनौती है।