MP Election, MP Politics, Narottam Mishra : आगामी चुनाव को देखते हुए मध्यप्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। पार्टियों द्वारा एक-दूसरे पर खुलकर जुबानी हमले जारी हैं। इसी बीच कांग्रेस द्वारा इंदौर में आयोजित आदिवासी महापंचायत पर प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने निशाना साधा है। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस की राजनीति पर तंज कसा है।
इंदौर में आयोजित आदिवासी महापंचायत पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस आयोजन के मंच पर वह लोग बैठेंगे। जिनकी पहचान ही नफरत फैलाने की है। गृह मंत्री मिश्रा ने कहा कि “यह वही बात है कि जिन की नफरत है पहचान, कांग्रेस उनसे ही खुलवा रही है मोहब्बत की दुकान”
एक मंच पर जॉन, जॉनी और जनार्दन तीनों शामिल- नरोत्तम मिश्रा
तंज भरे अंदाज में गृह मंत्री ने कहा कि मंच पर कमलनाथ के अलावा दिग्विजय और कन्हैया कुमार एक साथ बैठेंगे। इन लोगों की पहचान है नफरत की है। एक वह है जो “जाकिर नाईक जैसों को शांतिदूत कहते हैं, लादेन को “जी” कह कर संबोधित करते हैं” दूसरे वह है “जिनके दामन में 84 के कत्लेआम के छींटे हैं”। मिश्रा ने कहा कि नफरत फैलाने वाले की सूची में तीसरे वह है, जिन्होंने नारे लगाए हैं “भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह, इंशाल्लाह” आदिवासी महापंचायत में एक मंच पर जॉन, जॉनी और जनार्दन तीनों शामिल होंगे।
मीडिया से बात करते हुए गृहमंत्री मिश्रा ने कहा कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह तीनों वहां किस तरह मोहब्बत की दुकान लगाने पहुंचे हैं। यह तो वही बात हो गई कि “जिनकी नफरत ही है पहचान, कांग्रेस उनसे ही खुलवा रही है मोहब्बत की दुकान।”
कांग्रेस मोहब्बत की दुकान के नाम पर फैला रही भ्रम – गृहमंत्री
नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट कहा है कि कांग्रेस मोहब्बत की दुकान के नाम पर कितना भी भ्रम फैला ले लेकिन जनता जनार्दन है और उसे सब पता है। कांग्रेस केवल नफरत की राजनीति करती है और उसका मूल चरित्र भी यही है जबकि भाजपा एक राष्ट्रवादी लोगों की पार्टी है, जो राष्ट्र की आराधना करते हैं। जबकि दूसरी तरफ नफरत का सामान भरा दुकान है और इसे मोहब्बत का नाम देकर चलाया जा रहा है।
राहुल गांधी के “मोहब्बत की दुकान” बयान की काफी चर्चा
बता दे देश के विभिन्न राज्यों में हो रहे चुनाव में इन दिनों राहुल गांधी के “मोहब्बत की दुकान” बयान की काफी चर्चा है। मीडिया द्वारा उन्हें मोहब्बत वाला नेता तक कह कर संबोधित किया जा रहा है। हालांकि चुनावी बयानबाजी और चुनावी सरगर्मियां के बीच “ताज पर किसका राज” होता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इन दिनों पार्टियों द्वारा एक-दूसरे पर किए जा रहे राजनीतिक वार फिलहाल चर्चा का विषय बने हुए हैं।