MP: गांव में पढ़ाना नहीं चाहते ‘शिक्षक’, स्कूलों में खाली पड़े पद

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भोपाल। प्रदेश में लंबे समय से तबादलों का इंतजार कर रहे शिक्षकों के लिए राज्य शासन ने नई तबादला नीति को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत तबादले के लिए शिक्षक 24 जून से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। नीति लागू होने से पहले ही शिक्षकों ने तबादलों के लिए ऑफलाइन आवेदन देना शुरू कर दिया था। जिनमें से ज्यादातर आवेदन उन शिक्षकों ने दिए हैं जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में आना चाहते हैं। महिला शिक्षक तो किसी भी स्थिति में गांव में पढ़ाना नहीं चाहती हैं। 

प्रभारी मंत्रियों के यहां तबादलों के लिए सबसे ज्यादा आवेदन शिक्षकों के हैं। जो गांवों में रहकर ड्यूटी बजा रहे हैं। इन शिक्षकों ने गांव से जिला मुख्यालय, तहसील मुख्यालय या फिर नगरीय क्षेत्र में तबादले के लिए गुहार लगाई है। गांवों में पढ़ा रहीं महिला शिक्षक किसी भी स्थिति में वहां रहने को तैयार नहीं है। प्रभारी मंत्रियों के यहां शिक्षकों के जितने भी आवेदन आए हैं, उनमें 60 फीसदी से ज्यादा आवेदन सिर्फ महिला शिक्षकों के हैं, जो पारिवारिक जिम्मेदार, बच्चों के लालन-पोषण, स्वयं की बीमारी, सुरक्षा का हवाला देकर शहर में आना चाहती हैं। खास बात यह है कि शहरी क्षेत्र में पदस्थ एक भी शिक्षक गांव में जाना नहीं चाहता है। हालांकि शिक्षा विभाग की तबादला नीति में स्पष्ट उल्लेख है कि शहरी क्षेत्र से गांव जाने वाले शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग मिलेगी। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के लगभग हर स्कूल में पद रिक्त हैं। जबकि शहरी क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों के पद भरे हुए हैं। 


किस मंत्री के यहां कितने आवेदन

शिवपुरी के प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के यहां अभी तक शिक्षकों के 350 से ज्यादा से आवेदन आ चुके हैं। जिनमें से 200 करीब आवेदन अकेले महिलाओं के हैं। जो गांव से निकलना चाहती हैं। इसी तरह भोपाल के प्रभारी मंत्री डॉ गोविंद सिंह के यहा�� करीब 175 आवेदन शिक्षकों के आ चुके हैं। जिनमें से ज्यादातर शिक्षक गांवों से राजधानी में आना चाहते हैं। कुछ शिक्षक शहरी क्षेत्र के एक स्कूल से दूसरे स्कूल में भी आना चाहते हैं। शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी के यहां करीब 7 हजार से ज्यादा आवेदन शिक्षकों के आ चुके हैं। जो स्वयं शिक्षक, कांग्रेस नेता एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के माध्यम से आए हैं। खास बात यह है कि इनमें 6 हजार से ज्यादा आवेदन ऐसे शिक्षकों के हैं जो शहर में बसना चाहते हैं। जबकि कुछ आवेदन एक गांव से दूसरे गांव और शहर के भीतर ही एक स्कूल से दूसरे स्कूल में पदस्थापना चाहने वालों के हैं। यही स्थिति अन्य प्रभारी मंत्रियों के यहां है। 

शहरों में कम होंगे तबादले

शहरी क्षेत्र के स्कूलों में अपेक्षाकृत ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं। इनमें से ज्यादातर शिक्षक वे हैं जिनके परिचित प्रशासन एवं राजनीति में सक्रिय हैं। नई तबादला नीति में ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में सिर्फ जरूरतमंद शिक्षकों को ही पदस्थ किया जाएगा। जबकि शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाले शिक्षकों का आसानी से तबादला होगा। उन्हें मनचाही पदस्थापना भी मिल सकेगी। हालांकि ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में तबादला चाहने वाले शिक्षकों को नई पदस्थापना के लिए कई विकल्प भरने होंगे। 

 

इन्हें मिलेगी तबादले में प्राथमिकता 

तबादले के लिए शिक्षक सोमवार से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। तबादले के लिए शिक्षकों को 20 विकल्प दिए जा सकते हैं। उन्हें च्वॉइस फिलिंग करना होगी। तबादले 31 जुलाई तक किए जाएंगे। तबादला नीति में पहले उन शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो गंभीर रूप से बीमार, विकलांग हैं। तलाकशुदा या परित्याग महिलाएं भी इसी श्रेणी में रहेंगी। उधर, अध्यापक संघ ने अपनी मांग रख दी है। संघ का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में अधिकांश स्कूलों में अतिशेष की स्थिति है। ऐसी स्थिति में पहले अतिशेष शिक्षकों का समायोजन हो, उसके बाद तबादले किए जाएं।


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