उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में प्रतिदिन सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। लेकिन कई बार बहुत सारे भक्तों को बिना दर्शन के ही मायूस लौट जाना पड़ता है। भारी भीड़ और सीमित बुकिंग के कारण कई भक्त भस्मारती देखने से वंचित रह जाते थे, लेकिन अब मंदिर प्रबंधन ने इसे लेकर नई व्यवस्था लागू की है।
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कई बार पहले से बुकिंग नहीं हो पाने के कारण हजारों श्रद्धालु भस्म आरती (Bhasma Aarti) दर्शन से वंचित रह जाते हैं। दरअसल यहां केवल 2000 श्रद्धालुओं को ही भस्मारती के पास जारी होते हैं। अब इसे लेकर मंदिर प्रबंधन ने एक व्यवस्था की है। कोई भी श्रद्धालु भस्म आरती के दर्शन से वंचित ना रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए महाकाल मंदिर समिति ने सोमवार से चलायमान भस्म आरती शुरू की। इस दौरान जिन श्रद्धालुओं ने भस्म आरती का पास लिया है वे नंदीहाल व गणेश मंडपम में बैठकर भस्म आरती देखते हैं और जो श्रद्धालु अनुमति नहीं ले सके हैं वह अब कार्तिक मंडपम से भस्मारती देख सकेंगे। ऐसा ही नजारा सोमवार सुबह 4 बजे देखने को मिला। 1000 से अधिक ऐसे श्रद्धालु, जिन्होने भस्म आरती दर्शन किए जो अनुमति पास नहीं लिए थे, उन्होने गणेश मंडपम में बैठकर दर्शन किए। महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि यह अभी एक प्रयोग है। यदि ये सफल होता है तो इसे लगातार जारी रखा जाएगा।
इसी के साथ महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध की बैठक में बनाए गए नए नियमों के मुताबिक अब भक्तों को लाइन में ही दर्शन कराते हुए बाहर निकाला जाएगा, जिसके लिए उन्हें किसी तरह के पैसे का भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। सोमवार से इस नियम का ट्रायल भी शुरू हुआ। यदि यह व्यवस्था उम्मीदों पर खरी उतरेगी तो आगे भी इस नियम को लागू किया जाएगा। प्रशासन की सुविधा से मंदिर के बाहर भस्म आरती के नाम पर की जाने वाली ठगी भी बंद होगी और अब श्रद्धालु फ्री में भस्म आरती के दर्शन कर पाएंगे। फिलहाल भस्म आरती का हिस्सा बनने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन बुकिंग करनी पड़ती है। इसके लिए 200 रुपए की रसीद काटी जाती है, हालांकि कोरोना महामारी के कारण भक्तों की एंट्री को लिमिट में रखा गया है।