नाराज नेताओं ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें, अब इस सांसद ने खरीदा नामांकन फॉर्म

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भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में टिकट को लेकर जमकर घमासान मचा हुआ है। विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव से पहले बगावत के सुर तेजी से फूट रहे है। टिकट के लिए दावेदारी कर रहे दावेदार घोषित प्रत्याशियों का विरोध कर रहे है, वही मौजूदा सांसद टिकट कटने से नाराज हो गए है और बागी हो चले है। सबसे ज्यादा नाराजगी बालाघाट और शहडोल में देखने को मिल रही है। बालाघाट से वर्तमान सांसद बोध सिंह भगत के बाद शहडोल सांसद ज्ञान सिंह ने भी नामांकन फॉर्म खरीद लिया है। ज्ञान सिंह का कहना है कि जिंदा मक्खी नहीं निगल सकता, इससे अच्छा कि मर ही जाऊं।

दरअसल, भाजपा ने अबतक 18  प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है, जिसमें कई मौजूदा सांसदों का टिकट काटा गया है। इस बार बालाघाट से सांसद बोध सिंह भगत का टिकट काटकर ढ़ाल सिंह बिसेन और शहडोल ज्ञानसिंह का टिकट काटकर हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई हिमाद्री सिंह को दिया गया है। जिसके चलते सांसदों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इससे नाराज होकर भगत के बाद ज्ञान सिंह ने नामांकन फॉर्म खरीद लिया है। ज्ञान सिंह का कहना है कि आंखों देखे जिंदा मक्खी नहीं निगल सकते। पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बदला तो प्रचार नहीं करूंगा। इससे तो अच्छा है मर जाऊं। ज्ञान सिंह ने नामांकन पत्र खरीदने के बाद साफ कर दिया कि यदि पार्टी ने टिकट नहीं बदला तो मौजूदा उम्मीदवार हिमाद्री सिंह हार जाएंगी। अब भाजपा के ऊपर है कि वह चुनाव में उपयोग करे या विरोध में मेरी क्षमता को आजमाए। 

सांसदों की इस सख्त रवैए के बाद पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है। नेताओं द्वारा लगातार उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि बीते दिनों ज्ञान सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने मुलाकात कर आश्वसन भी दिया था कि वह उनके नाम को लेकर चर्चा करेंगें।लेकिन कई दिन बीतने के बाद आखिराकर बुधवार शाम सिंह ने भी नामांकन फॉर्म खरीद लिया।वही बोध सिंह को भी पार्टी नेताओं द्वारा मनाने की जद्दोजहद की जा रही है। पार्टी को पूरा उम्मीद है तो वे भगत को ऐन मौके पर मना ही लेंगें।

दोनों सासंद लड़ सकते है निर्दलीय चुनाव

दोनों सांसदों के इस बर्ताव से साफ जाहिर हो रहा है कि अगर पार्टी ने इन्हें टिकट नही दिया तो ये निर्दलीय चुनाव लड़ सकते है। नामांकन फॉर्म लेने के बाद सांसद बोध सिंह भगत का कहना है कि नामांकन फॉर्म ले लिया है, इसे भरेंगे और चुनाव भी लड़ेंगे।कार्यकर्ताओं ने उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ाने की बात कही है। वही ज्ञान सिंह पहले ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर पार्टी की नींद उड़ा चुके है।माना जा रहा है कि अगर बोध सिंह और ज्ञान सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ते है तो पार्टी की मुश्किलें बढ सकती है, वोटों के बंटने के आसार है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। 


पूर्व मंत्री भी हुए नाराज

वही दूसरी तरफ बेटी को टिकट ना मिलने पर पूर्व मंत्री गौरीशंकर भी नाराज हो गए है। 2014 के लोकसभा के लिए गौरीशंकर ने अपनी पुत्री मौसम के लिए टिकट मांगी थी, अंत में टिकट बोधसिंह भगत को मिल गई और वे मोदी लहर में चुनाव जीत गए। इसके बाद बोधसिंह भगत गौरीशंकर बिसेन से हमेशा नाराज रहने लगे। माना जा रहा है कि गौरीशंकर की वजह से भगत का टिकट काटा है।हालांकि बिसेन ने ढाल सिंह का समर्थन किया है।

बालाघाट कार्यकर्ताओं ने दी चेतावनी

वही भगत के समर्थन में उतरे पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी ऐलान कर दिया कि अगर बोध सिंह भगत को टिकट नहीं मिली तो लगभग 300 से अधिक पार्टी कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। वही कार्यकर्ताओं ने टिकट ना मिलने पर निर्दलीय चुनाव लडाने की बात कही है। इस ऐलान के बाद बालाघाट से लेकर भोपाल तक भाजपा में खलबली मच गई। पार्टी के फैसले से नाराज भगत के समर्थक बिसेन की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है।

गौरतलब है कि शहडोल में हिमाद्री टिकट घोषित होने से दो दिन पहले ही कांग्रेस से भाजपा शामिल हुई थीं। इसे लेकर ही ज्ञान सिंह ने भारी विरोध जताया। वही बालाघाट संसदीय क्षेत्र से पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी मौसम के लिए टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन भाजपा आलाकमान ने परिवार के सदस्य को टिकट देने से मना कर दिया। इसी के बाद गौरीशंकर ने ढाल सिंह का समर्थन कर दिया। केंद्रीय संगठन ने जैसे ही ढाल सिंह को बालाघाट का प्रत्याशी बनाया, उसके बाद से ही बोध सिंह समर्थकों ने क्षेत्र में जमकर हंगामा किया था और बीजेपी कार्यालय में ताला जड़ दिया था।इसके बाद पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा था।


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