भोपाल, हरप्रीत कौर रीन। मध्य प्रदेश में ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर सियासत गर्म है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जहां अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए जाने के मामले पर शिवराज सरकार को लगातार घेर रहे हैं वहीं दूसरी ओर सरकार और बीजेपी लगातार इस मुद्दे पर कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मेडिकल कोर्स में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की घोषणा के साथ ही मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया। कमलनाथ ने मोदी सरकार के फैसले की तारीफ की लेकिन शिवराज सरकार से एक बार फिर सवाल पूछ लिया कि आखिर प्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने में हिचक क्यों हो रही है! कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर पिछड़ा वर्ग विरोधी होने का आरोप तक लगा दिया और कहा कि राजनीतिक बयानबाजी में छोड़कर ओबीसी के लिए आरक्षण लंबित करने के हथकंडे ना अपनाएं बल्कि उसे तुरंत लागू करें। इस पर शिवराज सरकार की ओर से जवाब भी आ गया।
गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर खुद कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कमलनाथ से पूछा कि वही बताएं कि आखिरकार ओबीसी आरक्षण के नाम पर पिछड़ा वर्ग के लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम उन्होंने क्यों किया और आखिरकार क्यों पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को इस तरह की कानूनी पेचिदगियों में फंसा दिया। उन्होंने बीजेपी को अन्य पिछड़ा वर्ग की सबसे बङी हितेषी पार्टी बताते हुए कहा कि 16 साल की सत्ता में बीजेपी ने ही लगातार तीन अन्य पिछड़ा वर्ग के मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान दिए और शिवराज तो लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री हैं। क्या कमलनाथ ने ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत का पालन किया और यदि पालन करें तो क्या एक पद अरुण यादव या जीतू पटवारी जैसे स्थापित अन्य पिछड़ा वर्ग के नेताओं को नहीं दिया जा सकता! उन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया कि आखिरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के स्थापित नेता अरुण यादव के प्रति कमलनाथ की नीति ही यह बताती है कि वह पिछले वर्ग के किस कदर विरोधी हैं।
दरअसल कमलनाथ सरकार ने सत्ता में रहते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाला आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था जिसके खिलाफ की गई याचिका हाईकोर्ट में लंबित है और इसमें अभी रोक लगी हुई है जिसके तहत ओबीसी सिर्फ 14 फीसदी आरक्षण का लाभ उठा पा रहा है। इस मामले में अंतिम सुनवाई 10 अगस्त 2021 को है जिसे लेकर सियासी तलवारे जमकर चल रही है।