भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) की अध्यक्षता में धान मिलिंग पर मंत्रि-मंडलीय उप-समिति की बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में धान मिलिंग (Paddy Milling) की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। धान मिलिंग के लिए प्रदेश में अधिक क्षमता की इकाइयाँ स्थापित की जाएँ। कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में धान मिलिंग दरों के संबंध में फैसला किया जाएगा।
दरअसल, आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान मिलिंग पर मंत्रि-मंडलीय उप-समिति की बैठक में कहा किइसके लिए मिलिंग की बड़ी इकाइयाँ स्थापित की जाएँगी। धान की लाभदायक प्रजातियाँ लगाने और धान में टूटन कम आए, इसके लिए किसानों (Farmers) को प्रशिक्षित भी किया जायेगा।धान के अलावा अन्य लाभदायी फसलें लेने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जाएगा। राज्य शासन (MP Government) के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। धान मिलिंग दरों के संबंध में अंतिम निर्णय कैबिनेट बैठक द्वारा लिया जाएगा।
कैबिनेट बैठक से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने निर्देश दिए कि प्रदेश में अधिक क्षमता की राइस मिलें (rice mills) स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाए। बैठक में मंत्रि-मंडलीय समिति द्वारा धान की मिलिंग के संबंध में विभिन्न विकल्प प्रस्तुत किए गए। मिलर संघों द्वारा प्रस्तुत चावल परिदान के प्रस्तावों, अन्य धान उत्पादक राज्यों की मिलिंग संबंधी नीति और प्रक्रिया पर भी विचार-विमर्श हुआ। बैठक में मंत्रि-मंडलीय उप-समिति द्वारा चावल परिदान के प्रस्तावित अनुपात, मिलिंग की प्रोत्साहन राशि और अपग्रेडेशन की राशि के संबंध में विकल्प प्रस्तुत किए गए।
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में धान उत्पादन में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020-21 में कुल 37.26 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जित किया गया। जबकि वर्ष 2017-18 में यह मात्रा केवल 16.60 मीट्रिक टन थी। प्रदेश में कुल 804 मिलर्स हैं। इनमें 396 मिलों की धान मिलिंग क्षमता चार मीट्रिक टन प्रति घंटा और 392 मिलर्स की मिलिंग क्षमता 4 से 8 मीट्रिक टन प्रतिघंटा है। मात्र 16 इकाईयों की मिलिंग क्षमता 8 मीट्रिक टन प्रति घंटा से अधिक है। प्रदेश की वर्तमान मिलिंग क्षमता 35 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन है।आखरी फैसला कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा।