भोपाल। अभी तक विधानसभा में केवल विधायक ही प्रश्न लगाते आए है , लेकिन अब यह मौका जनता को भी मिलना वाला है। प्रदेश की कमलनाथ सरकार अब यह अधिकार जनता को भी देने जा रही है। इसके तहत जनता सरकार से सवाल कर सकेगी, जिसका जवाब मंत्र देंगें। हालांकि सवालों का चयन लॉटरी के जरिए होगा। प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण और शून्यकाल की तर्ज पर इसे जनता प्रहर के नाम से शुरु किया जाएगा।इसके साथ ही कांग्रेस का एक और वचन पूरा हो जाएगा।
दरअसल, सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने जनता से ��ई वादे किए थे, इनमें से एक वादा था विधानसभा में जनता को सीधे मंत्रियों से सवाल पूछने का अधिकार देने का।इसी वचन की पूर्ति के लिए सरकार जनता प्रहर शुरु करने जा रही है।इसके तहत जनता मंत्रियों से ठीक उसी तरह सवाल पूछेगी जैसे विधायक पूछते है।इसके लिए आधे घंटे का समय निश्चित किया गया है। प्रश्नों का चयन लॉटरी के जरिए होगा और जिसके प्रश्न चुने जाएंगे, प्रश्न आने पर उन्हें संबंधित विभागों को उत्तर देने के लिए भेजा जाएगा। उत्तर आने के बाद सचिवालय लॉटरी पद्धति से प्रश्नों को चुनेगा। उसे प्रश्न चर्चा में आने के दिन अध्यक्षीय दीर्घा में मौजूद रहने का मौका भी मिलेगा ताकि वो भी पूरी प्रक्रिया को देख सके।
इसके लिए संसदीय कार्य विभाग के प्रस्ताव पर संसदीय कार्यमंत्री डॉ.गोविंद सिंह ने मुहर लगा दी है। शुक्रवार को इसे अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेज दिया गया है। विभाग के प्रमुख सचिव अजीत केसरी ने जनता प्रहर के प्रस्ताव की पुष्टि की है।हालांकि यह कब से शुरु होगा और जनता की तरफ से सदन में सवाल कौन पूछेगा इस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री कमलनाथ और नियम समिति ही करेंगे।
पहले भी हो चुका है ऐसा, मुख्यमंत्री-मंत्री रहते थे अपडेट
इससे पहले यह शिवराज सरकार और दिग्विजय सरकार मे भी लागू किया जा चुका है.हालांकि दोनों सरकारों में इसके स्वरुप अलग अलग रहे। जहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में विधानसभा में आधे घंटे का मुख्यमंत्री प्रहर शुरू किया गया था। इसमें कोई भी सदस्य किसी भी विषय में बिना पूर्व सूचना दिए सवाल कर सकता था। इसका फायदा यह था कि पूरा प्रशासन चौकन्ना रहता था और मुख्यमंत्री के साथ मंत्री भी विभाग के साथ प्रदेश में चल रही गतिविधियों से अपडेट रहते थे।वहीं, 14वीं विधानसभा में अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा ने अभ्यावेदन के जरिए विधानसभा के दरवाजे आम आदमियों के लिए खोले थे। इसमें वे व्यक्ति, जिन्हें कहीं से भी न्याय नहीं मिला वे अभ्यावेदन के जरिए याचिका समिति के सामने अपनी बात रख सकते हैं। इस व्यवस्था से कईयों को न्याय भी मिल चुका है।