आजादी के अमृतकाल में चीता आने पर प्रधानमंत्री मोदी ने जताई खुशी, कहा ‘देश में पुनर्जीवित होंगे चीते’

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आखिरकार वो बहुप्रतीक्षित समय आ ही गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने जन्मदिवस पर मध्यप्रदेश को खास तोहफा दिया। 17 सितंबर का दिन इतिहास में दर्ज हो गया है क्योंकि 70 साल बाद हमारे देश में फिर से चीता (Cheetah) आया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत महोत्सव में चीतों का भारत आना एक अद्भुत घटना है। उन्होने कहा कि’ प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी, भारत के लिए ये केवल sustainability और security के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये हमारी sensibility और spirituality का भी आधार हैं।’ इस मौके पर उन्होने मित्र देश नामीबिया और वहाँ की सरकार को धन्यवाद भी दिया।

कूनो नेशनल पार्क में दिखा PM Modi का खास अंदाज

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। अमृत में तो वो सामर्थ्य होता है जो मृत को भी पुनर्जीवित कर देता है मुझे खुशी है कि आजादी के अमृतकाल में कर्तव्य और विश्वास का यह अमृत हमारी विरासत को, हमारी धरोहरों को और अब चीतों को भी भारत की धरती पर पुनर्जीवित कर रहा है। इसके पीछे हमारी वर्षों की मेहनत है। एक ऐसा कार्य राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, उसके पीछे भी हमने भरपूर ऊर्जा लगाई। इसके पीछे एक विस्तृत चीता एक्शन प्लान तैयार किया गया। हमारे वैज्ञानिकों ने लंबी रिसर्च की। साउथ अफ्रीका और नामीबिया के एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर काम किया। हमारी टीम वहां गई, वहां के एक्सपर्ट्स भी भारत आए। पूरे देश में चीतों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र के लिए वैज्ञानिक सर्वे किए गए। और तब कूनो नेशनल पार्क को इस शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। और आज हमारी वो मेहनत परिणाम के रूप में हमारे सामने है।’

हालांकि अभी कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा और इंतजार करना होगा। पीएम ने कहा कि ‘आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कुनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। दशकों पहले, जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं। और मैं ये भी कहूँगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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