हितग्राही से बातचीत करते कहां पहुंची मोदी की दूरदृष्टि ,दे डाली यह सलाह

इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उन स्ट्रीट बेंडर (Street vendor) से रूबरू थे, जिन्हें प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना|(Prime Minister’s Self Fund Scheme) के तहत लाभान्वित (Benefited) किया गया है ।20 जून 2020 से लागू हुई इस योजना के माध्यम से ‘रोज कमाने, रोज खाने’  वाले उन गरीब लोगों की दस हजार की आर्थिक सहायता(Financial Aid)  बैंकों के माध्यम से दी गई है, जिनका रोजगार लॉकडाउन (Lockdown) के चलते मंद पङ गया था।

इस दौरान मध्यप्रदेश में सांवेर, ग्वालियर और सांची के हितग्राहियों (Beneficiaries of sanwer,sanchi,gwalior) से मोदी ने सीधी बातचीत की। इंदौर के सांवेर में झाड़ू का व्यवसाय (Sweep business) करने वाले छगनलाल से बातचीत करते हुए मोदी ने इशारा किया कि आप की कुर्सी के नीचे एक प्लास्टिक की बोतल (plastic bottle) रखी है, जिससे आप पानी पीते हैं । मोदी ने छगनलाल को सलाह दी कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद करें (stop using Single use plastic) जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इसके बजाय कोशिश करें कि जब भी अपने काम पर जाएं तो मिट्टी के मटके में (use pot of mud) पानी ले जाया करें। छगनलाल ने मोदी की इस सलाह को तुरंत अमल करने का भरोसा दिलाया। इतना ही नहीं मोदी ने छगनलाल को पुरानी झाड़ू के रीसाईकिल (Recycling of broom) करने के उपाय पर भी विचार करने की बात कही।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।