भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) पर जारी सियासत के बीच नए सिरे से पंचायत चुनाव कराने के लिए तैयारी एक बार फिर शुरू हो गई हैं।शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार में हुए परिसीमन को एक बार फिर समाप्त कर दिया है। इस संबंध में मध्य प्रदेश के राज्यपाल ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज द्वितीय संशोधन अध्यादेश 2021 जारी किया, जिसके तहत अब पंचायतों में वार्डो के परिसीमन और विभाजन की कार्यवाही दोबारा शुरू की जाएगी, नए अध्यादेश की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है वही दूसरी तरफ कांग्रेस ने इसका विरोध किया है और इसे चुनाव टालने का एक कानूनी पेंच बताया है।
मप्र पंचायत चुनाव: पंचायतों का फिर से होगा परिसीमन, नया अध्यादेश लागू, जानें ताजा अपडेट
दरअसल, बीते दिनों राज्यपाल द्वारा मध्य प्रदेश की शिवराज कैबिनेट (Shivraj Cabinet) के प्रस्ताव के आधार पर अध्यादेश को निरस्त किए जाने के चलते मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त कर दिए गए थे। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा था कि जल्द चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अब गुरुवार को मध्य प्रदेश (Madhya pradesh) के राज्यपाल ने मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज द्वितीय संशोधन अध्यादेश विधेयक 2021 जारी किया है। इसके द्वारा पंचायतों और उनके वार्ड में तथा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और विभाजन की कार्यवाही पुन: की जाएगी। पंचायतों को अब पंच, सरपंच, जनपद पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्यों के पदों के लिए वार्ड आरक्षण करना होगा। यह अध्यादेश 18 महीने के लिए वैध माना जाएगा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा (Vivek Tankha) ने इसे सरकार का अविश्वसनीय कदम बताया है और कहा है कि कमलनाथ सरकार द्वारा परिसीमन और विभाजन को पूरा किया गया था, उसे एक बार फिर रद्द करके यह अध्यादेश सीधे-सीधे पंचायत चुनावों में देरी करने का कानूनी पेच है। सरकार (MP Government) एक बार फिर लंबी प्रक्रिया करना चाहती है। क्या हार का डर बीजेपी को सता रहा है? तंखा ने कहा है कि 300 से ज्यादा चुनौती परिसीमन और विभाजन के विरुद्ध खारिज हो चुकी है तो फिर से लंबी प्रक्रिया करने का औचित्य क्या है।
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वही कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर ने कहा है कि प्रदेश सरकार का फिर तानाशाही रवैया शुरू हो गया है और सरकार ने 2019 में हुए पंचायत परिसीमन को सिरे से निरस्त कर अपनी मनमर्जी के साथ भारतीय संविधान और पंचायती राज अधिनियम को ताक पर रख दिया है।
मप्र कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और प्रभारी चुनाव आयोग कार्य जेपी धनोपिया का कहना है कि पंचायत एवं नगरीय चुनाव के समवंध में पूर्व से ही यह नियम है कि हर पाँच साल में चुनाव के पूर्व परिसीमन एवं आरक्षण कराया जायेगा तब अब 2022 में चुनाव कराने के सम्बंध में चार दिन बाद पुनः अध्यादेश जारी कराने की आवश्यकता क्या थी । OBC के 27% आरक्षण के सम्बंध सोचना चाहिये ना कि आम जनता को गुमराह करने के लिये अनावश्यक अध्यादेश जारी कराने के , यह अध्यादेश पंचायत चुनावों को लम्बे समय के लिये टालने के लिये लाया गया है –
मप्र भाजपा पंचायत चुनाव :: फिर एक अविश्वसनीय कदम। शासन द्वारा १२१९ – २० में परिसीमन एवं विभाजन कार्य पूर्ण कर और जिसके विरुद्ध हाई कोर्ट में चुनौती भी अस्वीकार हो चुकी थी , को एक बार फिर रद्द कर नये सिरे से परिसीमन करने का संशोधन ordinance ३० dec २१ को अधिसूचित कर ,पंचायत १/२
— Vivek Tankha (@VTankha) December 31, 2021
में विलम्ब करने की क़ानूनी पेच। क्या भाजपा का न्यायालय के निर्णय से विश्वास उठ चुका है। या भाजपा सरकार का उद्देश कुछ और है। २५० / ३०० चुनौती याचिका पिछले परिसीमन और विभाजन के विरुद्ध ख़ारिज हो चुकी है। तो फिर से यह सब लम्बी प्रक्रिया क्यों ? क्या हार का डर भाजपा को सता रहा है ?
— Vivek Tankha (@VTankha) December 31, 2021
प्रदेश सरकार का फिर तानाशाही रवैया प्रारंभ 2019 में हुए पंचायत परिसीमन को फिर किया निरस्त प्रदेश सरकार अपने मनमर्जी के कारण भारतीय संविधान और पंचायती राज अधिनियम को भी कर रही है नजर अंदाज pic.twitter.com/LMWD6hfAb9
— SYED JAFAR (@SyedZps) December 30, 2021