राघवजी ने कर्ज के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को दी वित्तीय अनुशासन में रहने की नसीहत, भूपेंद्र सिंह और गोविंद राजपूत के विवाद पर पार्टी से जाँच की मांग

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बार बार कर्ज लेने से विकासकार्य प्रभावित होते हैं और प्रदेश में ऐसा हो भी रहा है। उन्होंने सड़कों की दुर्दशा की बात की और कहा कि हमने अपने समय में तय तीन फीसदी कर्ज लिमिट का हमेशा पालन किया है। वहीं, सौरभ शर्मा मामले को लेकर उन्होंने सीबीआई जाँच की मांग की है। 

Shruty Kushwaha
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Raghavji Criticizes MP Government’s Borrowing : पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कर्ज लेने की बात पर कहा है कि इससे विकासकार्य बाधित होते हैं। उन्होंने कहा कि बजाय कर्ज लेने के, सरकार को आय के स्त्रोत बढ़ाने चाहिए और खर्चों में कटौती करनी चाहि। वहीं, सागर जिले में पूर्व मंत्री और वर्तमान मंत्री के बीच चल रही खींचतान पर उन्होंने कहा कि इन आरोपों की पार्टी को जांच करनी चाहिए, इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।

पत्रकारों से बात करते हुए राघवजी ने ये भी कहा कि राजनीति में पीढ़ी बदलती रहती है। लेकिन जो पीढ़ी जा रही है उसका भी सम्मान बनाए रखना चाहिए, इससे नई पीढ़ी को अच्छी सीख मिलेगी। इसी के साथ उन्होंने सौरभ शर्मा मामले को लेकर कहा कि इसकी गहराई से छानबीन की जानी चाहिए।

कर्ज के मुद्दे पर MP सरकार को नसीहत ‘आय के स्त्रोत बढ़ाएं, मितव्ययता करें’

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने क प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कर्ज लेने पर उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे विकासकार्य प्रभावित होते हैं और वो हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘शहरों में सड़कों की दुर्दशा है, नगरपालिका को अनुदान नहीं मिल पा रहे हैं और सड़कें नहीं बन पा रही हैं। सिंचाई की कोई बड़ी योजना कारगर नहीं हो पा रही है। जब कर्ज लेकर सरकार चलाते हैं तो इसका असर होता ही है। इसकी बजाय आय के स्त्रोत बढ़ाने चाहिए और मितव्ययता करना चाहिए। अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाना चाहिए। हमने अपने कार्यकाल में इस वित्तीय अनुशासन का पालन किया है। हमें उस समय जीडीपी का तीन प्रतिशत कर्ज लेने की सुविधा थी,  हम ढाई प्रतिशत से आगे बढ़ते ही नहीं थे। अब तो तीन से आगे चार पाँच तक हो जाता है। ये लक्ष्मण रेखा जब पार करते हैं तो वित्तीय व्यवस्था बिगड़ती है।

भूपेंद्र सिंह-गोविंद सिंह राजपूत विवाद पर पार्टी से जाँच की मांग 

वहीं, सागर जिले में भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बीच चल रहे विवाद दो लेकर उन्होंने बीजेपी से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र सिंह ने गोविंद सिंह राजपूत पर आरोप लगाए हैं और ये गंभीर मामला है। राघवजी ने कहा कि पार्टी को इसे अनदेखा नहीं करते हुए मामले की जांच करनी चाहिए।

अपने कार्यकाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा पर कुछ अनियमितता के आरोप लगे थे और तब पार्टी द्वारा दो लोगों की जाँच कमेटी बनाई गई थी, जिसमें वे भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि आज ऐसा नहीं होता है लेकिन ये होना चाहिए। इससे पारदर्शिता बढ़ती है, स्वस्थ परंपरा कायम होती है और नैतिकता को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने ये भी कहा कि राजनीति मे पीढ़ियां बदलती रहती है। एक पीढ़ी जाती है, दूसरी आती है। लेकिन जो पीढ़ी जा रही है उसका भी सम्मान बनाए रखना चाहिए, इससे नई पीढ़ी को भी अच्छी सीख मिलेगी।

‘सौरभ शर्मा मामले की CBI जांच की जाए’

राघवजी ने सौरभ शर्मा मामले को बेहद गंभीर बताते हुए इसकी गहराई से जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि ये बहुत बड़ा मामला है और इसमें जो भी दोषी हों उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि इस मामले में कई बड़े नाम भी सामने आ रहे हैं और ऐसे में इस मामले की जांच सीबीआई या किसी बड़ी एजेंसी से कराई जानी चाहिए।

अपने ऊपर लगे आरोपों को बताया षड्यंत्र

राघवजी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को षड्यंत्र बताते हुए कहा कि कुछ लोगों ने उनके खिलाफ साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि ‘हाई कोर्ट ने यह कहा था कि मेरे खिलाफ दर्ज एफआईआर झूठी थी। इस मामले ने मुझे और मेरे परिवार को मानसिक तनाव में डाल दिया। मेरी बेटी पार्टी में बहुत सक्रिय है, उसने टिकट मांगा था और वो डिजर्व करती थी लेकिन उसे टिकट नहीं दिया गया’ उन्होंने कहा कि इसके पीछे कुछ और लोगों की साज़िश थी और सालों तक वो ये केस लड़ते रहे, लेकिन क्षेत्र की जनता ने इस आरोप को कभी स्वीकार नहीं किया और उन्हें वहां पूरा सम्मान मिलता रहा, जिससे उनका मनोबल बना रहा।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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