राहुल गांधी के अमेरिका दौरे को लेकर बीजेपी आक्रामक, यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा ‘भारत का खाते हैं और विदेशियों का बजाते हैं’

राहुल गांधी तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा पर है। इस दौरान उन्होंने कई अलग अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों पर बात की। अब उनके बयान को लेकर बीजेपी ने उनपर आरोप लगाया है कि वे विदेश जाते ही इसलिए हैं कि वहाँ जाकर भारत की आलोचना कर सकें।

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BJP Accuses Rahul Gandhi of Defaming India : बीजेपी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा है कि वे भारत का खाते हैं और विदेशियों का बजाते हैं। ये बात पूर्व विधायक और प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता यशपाल सिंह सिसोदिया ने कही। उन्होंने कहा कि राहुल विदेश यात्रा पर शायद जाते ही इसलिए हैं कि वहाँ जाकर भारत की आलोचना कर सकें।

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा पर है। इस दौरान उन्होंने कई अलग अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों पर बात की। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा, चुनाव, आर्थिक विकास सहित कई विषयों पर अपने विचार रखे।

यशपाल सिंह सिसोदिया का राहुल गांधी पर हमला 

बीजेपी एक बार फिर राहुल गांधी पर के विदेश दौरे पर आक्रामक है। उसका कहना है कि वे विदेश जाकर भारत की आलोचना करते हैं। बीजेपी नेता यशपाल सिंह सिसोदिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि ‘कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी जी, विदेश में शायद इसीलिए जाते हैं कि भारत की आलोचना कैसे की जाए, वहां जाकर भारत की आलोचना कर विदेशियों को खुश करने में लगे रहते हैं, कभी संविधान पर, कभी लोकतंत्र पर, कभी देवी- देवताओं पर तंज कसते रहते हैं, और भारत में रहते हैं तो भारत न्याय यात्रा, भारत जोड़ो यात्रा की बात करते हैं, भारत का खाते हैं और विदेशियों का बजाते हैं।’

राहुल गांधी ने विभिन्न मुद्दों पर की बात

बता दें कि राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी है। भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि ‘भारत में संचार के सभी रास्ते बंद थे। हर एक रास्ता बंद था। हमारे लिए सब कुछ अवरुद्ध हो गया। हमने संसद में बात की, लेकिन इसे टेलीविज़न पर नहीं दिखाया गया। हम मीडिया के पास गए, लेकिन हमने जो कहा, उन्होंने उसे नहीं उठाया। हमने क़ानूनी व्यवस्था के समक्ष दस्तावेज़ भी प्रस्तुत किये, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसलिए, सभी रास्ते बंद हो गए, और लंबे समय तक, हम सचमुच समझ नहीं पाए कि कैसे संवाद किया जाए। फिर अचानक, हमारे दिमाग में यह विचार आया: यदि मीडिया जनता तक नहीं पहुंच रहा है और संस्थाएं हमें लोगों से नहीं जोड़ रही हैं, तो सीधे उनके पास जाएं। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका सचमुच देश भर में घूमना था। और इसलिए, हमने यही किया।’

वहीं, उन्होंने भारत में महिलाओं को लेकर पुरुषों के दृष्टिकोण पर कहा कि ‘कई भारतीय पुरुषों का महिलाओं के प्रति होता है। मेरा मतलब हर एक भारतीय पुरुष से नहीं है, लेकिन बड़ी संख्या में भारतीय पुरुषों का महिलाओं के प्रति रवैया हास्यास्पद है। इसकी शुरुआत वहीं से होती है और यह महिलाओं के बारे में सोचने के एक खास तरीके को दर्शाता है। आप इसे राजनीतिक व्यवस्था, व्यापार जगत और हर जगह देखते हैं। मैं महिला सशक्तिकरण में विश्वास करती हूं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिलाओं को व्यवसाय में अवसर मिले, यदि वे अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करना चाहती हैं तो उन्हें आर्थिक रूप से समर्थन दें, और महिलाओं के लिए भाग लेना आसान बनाएं।’ उन्होंने कहा कि एक समस्या जिसे आप हल नहीं कर सकते यदि आप मौजूदा रास्ते पर चलते रहें तो वह है हमारे ब्लू-कॉलर श्रमिकों के लिए नौकरियां प्रदान करना। सीधे शब्दों में कहें तो अगर आप इसी रास्ते पर बने रहेंगे तो आप इसे हासिल नहीं कर पाएंगे। बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का एकमात्र तरीका चीजों का उत्पादन शुरू करना, विनिर्माण शुरू करना है।

रोज़गार की समस्या को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि पश्चिम में रोजगार की समस्या है। भारत में रोज़गार की समस्या है, लेकिन दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो वास्तव में इस समस्या का सामना नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि ‘चीन में रोजगार की समस्या नहीं है, वियतनाम में रोजगार की समस्या नहीं है तो, ऐसे देश भी हैं जो बेरोजगारी से नहीं जूझ रहे हैं।’ राहुल ने कहा कि भारत में आप फ़ोन, फ़र्निचर, कपड़े देखें उन सभी के पीछे “मेड इन चाइना” लिखा होता है। यह एक सच्चाई है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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