कैबिनेट में उठा बिजली कटौती का मुद्दा, मंत्रियों ने किये सवाल, सीएम नाराज

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भोपाल| मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस के सामने एक बार फिर बिजली कटौती का मुद्दा संकट बनकर खड़ा हो गया है| लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने इस मुद्दे पर जमकर सरकार की घेराबंदी की और दिग्विजय शासनकाल की याद दिलाते हुए फिर भंटाढार राज आ गया यह प्रचारित किया| लेकिन सरकार की सख्ती के बाद भी हालात नहीं सुधरे और बिजली कटौती से जहां आम जनता परेशान हैं, वहीं विपक्ष के आरोपों से सियासत भी तेज हो गई है| इस बीच सरकार ने मंगलवार को बिजली कटौती के मुद्दे पर मंगलवार को बैठक बुलाई है, वहीं सोमवार देर शाम हुई कैबिनेट की बैठक में भी बिजली कटौती का मुद्दा गूंजा|      

बिजली की अघोषित कटौती और दिन दिन भर बत्ती गुल होने पर मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रही और ज्यादातार मंत्रियों ने बीजेपी पर ही ठीकरा फोड़ा| पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि बिजली संकट से माहौल खराब हो रहा है। रखरखाव के नाम पर दिन-दिनभर बिजली काटी जा रही है, इसे दिखवाएं। वहीं, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नाम पर भाजपा ने मेंटेनेंस का काम ही नहीं करने दिया और फिर लोकसभा चुनाव आ गए। ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार की तुलना में कटौती कम हो रही है। इसे हम और कम करने का प्रयास करेंगे। मंत्रियों के सवालों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नाराजगी जताई| उन्होंने कहा कि प्रचार से ज्यादा दुष्प्रचार प्रभावी हो रहा है। शिवराज सिंह चौहान और गोपाल भार्गव बार-बार मुद्दा उठा रहे हैं।  मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा भाजपा के समय गांवों में ट्रांसफॉर्मर ही नहीं लगे थे, अब लगे हैं तो पता लग रहा है। डॉ. गोविंद सिंह ने आरोप लगाया कि घटिया उपकरण खरीदे गए थे इसलिए समस्या आ रही है । वहीं मंत्री पीसी शर्मा ने सुझाव दिया कि बिल में लिखा जाए कि 100 यूनिट 100 रुपए, इसके ऊपर खपत बढ़ने पर ज्यादा बिल लिया जाए।


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