अशोकनगर। हितेन्द्र बुधौलिया। कमलनाथ सरकार को गिराने में उन्हीं के पार्टी के 22 बागी विधायकों का सबसे बड़ा योगदान रहा है । सरकार गिरने के बाद इन 22 विधायकों में शामिल अशोकनगर के विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने अपनी फेसबुक पर एक बड़ी लंबी पोस्ट लिखी है। जिसमें उन्होंने सारी परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए सिंधिया के सम्मान में अपनी विधायकी छोड़ने का उल्लेख किया है।भावनात्मक रूप से सिंधिया से खुद का जुड़ाव बताते हुये विधायक जज्जी ने लिखा है कि सिंधिया की बदौलत वह विधायक बने थे और उन्हीं के कहने पर छोड़ दी ।उन्होंने सिंधिया के प्रति समर्पण भाव मे लिखा है है कि तेरा तुझको अर्पण ,क्या लागे मेरा।
यह लिखी है पोस्ट
सभी प्रियजनों,शुभचिंतको को उचित अभिवादन,,,,
साथियो हाल ही के प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम से आप अच्छी तरह वाकिफ़ हैं,, इस घटनाक्रम में मेरी भी छोटी सी भूमिका रही है और आपके मन मे यह जानने की उत्सुकता जरूर होगी कि यह सब क्यों घटा,,, हर राजनीतिक ब्यक्ति का यह सपना होता है कि वह विधायक बने व प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठे और मुझे आप सबके सहयोग से ये मौका मिला ।। अब सोचना यह है कि ये मौका मुझे ही क्यों मिला आप सब जानते हैं कि मैं एक मघ्यम परिवार से हूँ और कॉलेज जीवन से राजनीति में आया व काँग्रेस पार्टी के बैनर तले श्रीमंत सिंधिया जी के नेतृत्व में लंबा सफर तय किया व इस मकाम तक पहुंचा और ये सब संभव हुआ श्रीमंत महाराज के मेरे ऊपर विश्वास के कारण आप जानते हैं कि महाराज ने 2013 में विषम परिस्थितियों में मुझे विधानसभा का टिकट दिया जब लगभग सारे राजनीतिक लोग व कानूनविद विरोध कर रहे थे लेकिन महाराज ने मुझपर भरोसा किया व सबके विरोध को दरकिनार कर मुझे टिकट दिया आप जानते हैं मेरा फार्म निरस्त कर दिया गया लेकिन सिंधिया जी ने हार न मानी व हर स्तर पर जोरदार लड़ाई लड़ी व मेरे फार्म को स्वीकार कराया आप सबने भरपूर मेहनत की लेकिन हम 3000 मतों के अंतर से हार गए। फिर जब 2018 के चुनाव आये तो फिर वही परिस्थिति थी, मैं जटिल कानूनी प्रक्रिया में उलझा था, मेरे चुनाव लड़ने की कोई संभावना नहीं बन रही थी ,अशोकनगर के एक दो को छोड़ सभी कांग्रेसजन मेरी खिलाफत कर रहे थे ,एक तरफ कानूनी तलवार दूसरी तरफ कांग्रेसजनों का महाराज पर दबाब की जज्जी को टिकट न दें,महाराज बहुत दुविधा में थे कि ऐसी जटिल परिस्थितियों में क्या करूँ , मैं भी कुछ नहीं कह पा रहा था क्योंकि 2013 के चुनाव में फार्म निरस्त होना फिर हार जाना 5 साल से कोर्ट में कानूनी लड़ाई लडना , मैं फिर से महाराज को परेशानी में नहीं डालना चाहता था, लेकिन महाराज का मेरे प्रति स्नेह व विश्वास ही था कि उन्होंने सारी परेशानियों की चिंता नहीँ की व उन परिस्थितियों में मुझे टिकट देने का निर्णय लिया जिनमें देश का कोई भी नेता इतनी बड़ी रिश्क नहीं ले सकता था ,लेकिन महाराज ने मुझपर विश्वास किया, टिकट दिया व चुनाव लड़ने हेतु हर मदद की पूरी मेहनत की व आप सबके सहयोग से हम ये चुनाव जीते मैं विधायक बना, यह सब इतना आसान नहीं था यदि महाराज का मुझपर इतना स्नेह व विश्वास न होता, मुझे तो विधायक बनने के सपने देखने का भी हक़ नहीं था लेकिन महाराज ने उसे हकीकत कर दिया ।
अब बारी मेरी थी आप सब जानते हैं कि अगर प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सरकार बनी थी तो उसमें एक बड़ा योगदान महाराज का था महाराज ने लगातार प्रदेश के किसानों की व आमजन की आवाज उठाई व पूरे प्रदेश में लगातार दौरे किये जनहित में आंदोलन किये व संकल्प लेकर प्रदेश सरकार के विरुद्ध सड़कों पर संघर्ष किया जिसका परिणाम थी कांग्रेस सरकार जहाँ बड़े नेताओं के क्षेत्रों में कांग्रेस को आशातीत जीत नहीं मिली वहीं महाराज के प्रभाव वाले ग्वालियर चम्बल संभाग में 34 में से कांग्रेस 26 सीटें जीती जिससे प्रदेश मे कांग्रेस सरकार बनी, जनता को लग रहा था कि महाराज मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन पार्टी के निर्णय को मानते हुए महाराज ने कमलनाथ जी को मुख्यमंत्री स्वीकार किया व भरपूर सहयोग किया, महाराज को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग हम लोगों ने की ,लेकिन बड़े नेताओं ने उन्हें नही बनने दिया ,यह महाराज का अपमान था ,लेकिन महाराज ने वह भी बर्दाश्त किया ,लेकिन महाराज ये चाहते थे कि हमनें जो वादे जनता से किये हैं उनपर सरकार तेजी से काम करे ,और ये हर जननेता की भावना होना भी चाहिए ,लेकिन कांग्रेस सरकार लगातार महाराज की अनदेखी कर रही थी , इसी बीच राज्यसभा के चुनाव आ गए उनके समर्थक चाहते थे कि महाराज राज्यसभा में जाकर प्रदेश की जनता की आवाज बुलंद करें, लेकिन यहां भी प्रदेश के नेता उनको षडयंत्र कर राज्यसभा में जाने से रोक रहे थे , यह महाराज का सरासर अपमान तो था ही साथ ही देश के एक संभावनाओं से परिपूर्ण नेता को राजनीतिक रूप से खत्म करने की चाल थी ।
इन परिस्थितियों में महाराज के पास क्या विकल्प था, आप खुद विचार करें और इन हालात में महाराज ने एक निर्णय लिया, और जब वो नेता जिसने आप पर भरपूर विश्वास किया हो, आपके लिए हर लड़ाई लड़ी हो, आपकी हैसियत बनाई हो वो कोई निर्णय ले तो आपको क्या करना चाहिये,, जो आप करते वही मैंने किया ।।
तेरा तुझको अर्पण,,
क्या लागे मेरा,,,
जय हिंद,,,,,