भोपाल। मध्य प्रदेश में नई सरकार बन गई है और मंत्रीमंडल का गठन भी हो चुका है, लेकिन किस मंत्री को कौनसा विभाग सौंपा जाना है इसको लेकर खींचतान जारी है| इस बीच सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से बड़ी मांग की है| सिंधिया ने सीएम कमलनाथ को एक पत्र लिखा है । उन्होंने इस लेटर में ‘ग्वालियर व्यापार मेला’ में ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए रोड टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट की मांग की है। इससे पहले मप्र चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर यह मांग कर चुका है। इसके साथ ही उन्होंने बताया है कि इस व्यापार मेले का मुख्य उद्देश्य शुरु से ही व्यापार को बढावा देना है, अगर छूट मिलती है तो आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश को व्यापार में जरुर फायदा होगा जैसे पहले हुआ करता था और इसके टर्नओवर में भी बढोत्तरी होगी।बताते चले कि मेला 1 जनवरी से शुरु होगा।
सिंधिया ने पत्र में लिखा है कि ग्वालियर में यह व्यापार मेला बीते सौ सालों से आयोजित किया जा रहा है।इस मेले की ख्याति मध्यप्रदेश में ही नही बल्कि पूरे देश में व्याप्त है। इस मेले की भव्यता और व्यापकता को देखते हुए राज्य शासन द्वारा अलग से मेला प्रधिकरण का गठन किया गया था, साथ ही पहले इस मेले में वाणिज्यकर में 50 प्रतिशत की छूट भी दी जाती थी, जिससे जिले, राज्यों के व्याापारी, दुकानदार आकर्षित होकर यहां आते थे और व्यापार करते थे, जिसका फायदा प्रदेश की जनता को मिलता था और वस्तुओं को कम दाम में क्रय करने पर मदद मिलती थी, लेकिन 2003 में सत्ता परिवर्तन होते ही राज्य सरकार ने वाणिज्यक कर में छूट देना बंद कर दिया, जिसके कारण मेले का टर्न ओवर जो 500 करोड़ हुआ करता था अब 100 करोड़ होकर रह गया है।
सिंधिया ने मांग की है कि लोगों का आकर्षण और टर्न ओवर फिर बढ़ाने के लिए मेले मे ऑटोमोबाइल्स सेक्टर में बिकने वाले वाहनों पर रोड टैक्स कम कर 50 प्रतिशत की छूट दी जाए, ताकी ज्यादा से ज्यादा व्यापारी यहां इस व्यापार मेले मे रुचि दिखाए और ग्वालियर व्यापार मेला पहले की तरह फिर देशभर में गौरान्वित हो सके। इससे पहले आयुक्त, ग्वालियर संभाग और अध्यक्ष, प्राधिकरण प्रमुख सचिव और मेला दुकानदार कल्याण समिति द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र भेजकर मांग की गई थी कि मेले में ऑटोमोबाइल के रोड टैक्स पर 50 प्रतिशत की छूट दी जाए।
ऐसा माना जाता है कि यह मेला सिंधिया परिवार के लिए काफी खास होता है और कांग्रेस सरकार मेले को प्राथमिकता भी देती थी। लेकिन 2003 में बीजेपी के सत्ता में आते ही इस मेले की तरफ ध्यान कम हो गया, जिसके चलते टर्नओवर में भी कमी आई, लेकिन अब फिर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आ चुकी है, जिसके चलते पूरी उम्मीद की जा रही है कि पहले की तरह इस बार मेले में व्यापारियों को 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
ऐसा है इस मेले का इतिहास
व्यापार मेला परंपरा और आधुनिकता के संगम का उदाहरण है। ग्वालियर के तत्कालीन शासक स्व. माधवराव सिंधिया प्रथम ने ग्वालियर मेले की शुरुआत की थी। उस समय पूरी रियासत अकाल से पीड़ित थी। कारोबार ठप हो गया था। इसको देखते हुए स्व. सिंधिया ने मेले का शुभारंभ किया। सागरताल में मेलेे ने 1905 में साकार रूप लिया, तब शायद सिंधिया ने कल्पना भी नहीं की होगी कि पशु मेले के रूप में शुरू हुआ यह मेला करोड़ों का कारोबार करने लगेगा। 23 अगस्त 1984 को ग्वालियर व्यापार मेले को राज्य स्तरीय व्यापार मेले का दर्जा दिया गया। वर्ष 1996 में ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण बना। 104 एकड़ लगभग में मेला विशाल परिसर में फैला हुआ है। इसमें 2 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में पार्क और बगीचे हैं। साथ ही 1 लाख 80 हजार वर्ग फीट में हरियाली पट्टी है।मेले के व्यापारिक क्षेत्र में भव्य पारंपरिक कट स्टोन वास्तु शिल्प में निर्मित भव्य द्वारों की मदद से अष्टकोणीय सेक्टरों में विभाजित हैं। पारंपरिक पाषाण वास्तु शिल्प में बनी 1500 छोटी-बड़ी दुकानें, 250 चबूतरे और 23 छत्रियां मेले की खूबसूरती बढ़ाती हैं।