‘सतनारायण’ कथा, भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बयां किया भीतर का हाल

BJP Leader Satyanarayan Sattan : बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन का एक ऑडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को लेकर बातें कर रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है और उन लोगों को दरकिनार किया जा रहा है जिनके दम पर पार्टी आज इस स्थिति में पहुंची है। एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ऑडियो वायरल की पुष्टि नहीं करता।

अनुभावियों को किया पार्टी ने दरकिनार

हमेशा खरी खरी कहने के लिए मशहूर रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन के तेवर एक बार फिर कड़े हैं। दरअसल एक पत्रकार के साथ हुई बातचीत में उनका भाजपा को लेकर रुख सामने आया है। पत्रकार ने सवाल पूछा था कि पार्टी के दो वरिष्ठ नेता दीपक जोशी और भंवर सिंह शेखावत पार्टी से किनारा कर सकते हैं, इस बारे में सत्यनारायण सत्तन का क्या सोचना है ।इस पर सत्तन ने कहा कि यह तो महज दो ही लोग हैं। ऐसे बहुत सारे लोग हो सकते हैं और पार्टी के लिए यह भले ही उनकी स्थिति शून्य हो लेकिन ऐसे बहुत सारे शून्य पार्टी को ऐसी स्थिति में पहुंचा सकते हैं जो आज कांग्रेस की है। सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि दरअसल आज स्थिति यह है कि 70 साल से जो लोग पार्टी को गाली दे रहे थे उन लोगों को पास में बैठा कर उनका राजतिलक किया जा रहा है। पार्टी में अनुभवी लोगों को दरकिनार कर दिया गया है और एबीवीपी से आए हुए लोग पार्टी को चला रहे हैं। पार्टी में हर स्तर पर उम्रदराज लोगों की उपेक्षा की जा रही है और पार्टी की यह सोच पार्टी के लिए हानिकारक साबित हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता या संगठन किसी भी स्तर पर लोगों के पास किसी की बात सुनने का समय ही नहीं है। यही कारण है कि कार्यकर्ता अपने आप को उपेक्षित समझ रहा है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।