भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की जनता के लिए खुशखबरी है। शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने जनता के हित में एक और बड़ा फैसला किया है। सरकार ने भूखंड पर भवन अनुमति जारी करने के नियमों में संशोधन कर दिया है। इसके तहत शहरी क्षेत्र में रहने वालों को 3 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर मकान बनाने के लिए अब नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग (Urban Administration and Housing Department) में पंजीकृत आर्किटेक्ट अनुमति दे सकेंगे।इस संबंध में आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास ने सभी नगरीय निकायों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
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इसके पहले अनुमति के लिए नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत (Municipal Corporation, Municipality and Nagar Panchayat) जाना पड़ता था, ऐसे में कभी अनुमति मिलती कभी नहीं।वही अभी तक आर्किटेक्ट डेढ़ हजार वर्गफीट के मकान की अनुमति दे सकते थे, लेकिन अब 3 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर मकान बनाने के लिए अनुमति मिल सकेगी।इसके लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्रस्ताव संचालक नगर एवं ग्राम निवेश को भेजा था, जहां से मंजूरी मिलने के बाद आयुक्त नगर नगरीय प्रशासन एवं विकास निकुंज श्रीवास्तव ने सभी नगरीय निकायों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
दरअसल, राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम-2012 (Madhya Pradesh Land Development Rules-2012) के नियम 6 के उप-नियम (3) में संशोधन किया गया है। अब पंजीकृत वास्तुविद/स्ट्रक्चरल इंजीनियर को संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के अनुमोदन के बाद 300 वर्ग मीटर तक के क्षेत्रफल के भू-खण्डों पर भवन अनुज्ञा जारी करने के लिये प्राधिकृत किया जा सकेगा।ऐसे कॉलोनाइजर, जो भू-खण्ड/भवन विक्रय करते हैं, को ऐसी अनुज्ञा जारी नहीं की जा सकती।
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वही सक्षम प्राधिकारी भवन अनुज्ञा जारी करने की शक्ति किसी भी ऐसे वास्तुविद/स्ट्रक्चरल इंजीनियर (engineer) को नहीं देगा, जो 10 वर्ष का अनुभव नहीं रखते हों तथा अन्य निर्धारित मापदण्डों का पालन नहीं करते हों। आयुक्त नगर नगरीय प्रशासन एवं विकास निकुंज श्रीवास्तव (Commissioner Municipal Urban Administration and Development Nikunj Srivastava) द्वारा इस संबंध में यथोचित कार्यवाही के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये गये हैं।
बता दे कि चुनाव आयोग (Election commission) के संकेत के बाद 3 मार्च के बाद कभी भी नगरीय निकाय चुनावों (Urban body elections) का ऐलान हो सकता है वही दूसरे हफ्ते से पहले आचार संहिता (Code of conduct) लागू हो सकती है, ऐसे में सरकार के इस फैसले को मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।