भोपाल | विधानसभा चुनाव में हार के बाद एक तरफ जहाँ भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं| वहीं नेता प्रतिपक्ष कौन होगा इसको लेकर भी कवायद तेज हो गई है| पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में हैं और उनकी प्रदेश समेत राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात हुई। इस मुलाकात को नेता प्रतिपक्ष के चयन से जोड़कर देखा जा रहा है। गुरूवार को उन्हें वापस भोपाल लौटना था, लेकिन शाम को बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक होने के चलते वे आज रात को दिल्ली रुक रहे हैं। वे आज प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे से भी मिलने वाले है।
प्रदेश में 15 साल सत्ता में रहने वाली बीजेपी अब विपक्ष में बैठेगी, लेकिन उसके सामने जो बड़ी चुनौती है वह यह कि अपना नेता चुनना यानी नेता प्रतिपक्ष चुनना, हालांकि इस रेस में शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे नजर आ रहा है, वहीं उन्हें अगर लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो उनकी जगह किसी ब्राह्मण वर्ग के नेता को सामने लाया जा सकता है। इसमें गोपाल भार्गव और नरोत्तम के साथ राजेंद्र शुक्ला का नाम है। इसके अलावा पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का नाम सहमति के साथ आगे आ सकता है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी चुनावी हार के कारणों की समीक्षा भी नेता प्रतिपक्ष के चयन के साथ कर रही है। खास तौर पर सवर्ण वर्ग के नाराज होने के पीछे के कारण पर भी चर्चा हो रही है।
सरकार के हर फैसले पर शिवराज की नजर
सात जनवरी से शुरू हो रहे 15वीं विधानसभा के पहले सत्र से पहले पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करना है, लेकिन अब तक पार्टी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाई है। हार के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष को लेकर नामों पर चर्चा शुरू हो गई थी| वहीं सियासी गलियारों में शिवराज के दिल्ली जाने की अटकलें लगने लगी थीं तब खुद शिवराजसिंह चौहान ने आगे आकर साफ कर दिया है कि मध्यप्रदेश में ही रहेंगे और अंतिम सांस तक जनता की सेवा करेंगे। ऐसे में 13 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले शिवराज को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिलती है तो सतारूढ़ पार्टी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ना तय हैं। कांग्रेस के सरकार बनाने के बाद से ही शिवराज ने हर मोर्चे पर अपना विरोध दर्ज कराया है, चाहे कर्जमाफी हो या वन्देमातरम को लेकर विवाद, शिवराज लगातार नई सरकार पर नजर बनाये हुए हैं|
शिवराज के बाद इन दिग्गजों के नाम दौड़ में शामिल
नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में दूसरा बड़ा नाम नरोत्तम मिश्रा का है| मिश्रा शिवराज सरकार में संकटमोचक की भूमिका में रहे हैं और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं| पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने नरोत्तम मिश्रा को लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश का सह-प्रभारी बनाकर उन पर एक बार फिर अपना विश्वास जताया है। तीसरा नाम पार्टी के सीनियर विधायक गोपाल भार्गव का है। भार्गव का पिछले दिनों भोपाल में संघ के मुख्यालय समिधा पहुंचकर संघ के बड़े नेताओं से मिलना उनकी दावेदारी को और मजबूत बना रहा है। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में चौथा नाम पूर्व गृहमंत्री और पार्टी के सीनियर नेता भूपेंद्रसिंह का है। सिंह की सबको साथ लेकर चलने और पार्टी में सर्वमान्यता उनको प्रतिपक्ष की दौड़ में आगे रखती है।